आतिशबाजी के साथ किसानों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई
उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के सिंहस्थ क्षेत्र में जमीनों के स्थायी अधिग्रहण को लेकर लाया गया लैंड पुलिंग एक्ट आखिरकार राज्य सरकार ने वापस ले लिया है। बुधवार रात इस संबंध में पत्र जारी होने के बाद किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। इसके बाद बुधवार को भारतीय किसान संघ के कार्यालय पर किसानों ने जमकर आतिशबाजी की और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया।
भारतीय किसान संघ के लगातार विरोध के चलते नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने लैंड पुलिंग से जुड़ी इस योजना को निरस्त करने का आदेश जारी किया।
बुधवार को नीलगंगा स्थित भारतीय किसान संघ के कार्यालय में बड़ी संख्या में किसान और संगठन के पदाधिकारी एकत्रित हुए। इस दौरान किसानों ने आतिशबाजी की, एक-दूसरे को माला पहनाई और मिठाई खिलाकर सरकार के फैसले का स्वागत किया। किसानों का कहना है कि लैंड पुलिंग एक्ट से सिंहस्थ क्षेत्र के हजारों किसानों की जमीन पर स्थायी अधिग्रहण का खतरा मंडरा रहा था। सरकार के इस फैसले से किसानों को बड़ी राहत मिली है। भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों ने इसे किसानों की एकजुटता और आंदोलन की जीत बताया।
किसानों पर लादे गए मुकदमे वापस ले सरकार
भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा कि धर्म और धरती की लड़ाई थी, दो दिन से किन्नर अखाड़े भी सम्पर्क था। सरकार ने अपना कानून निरस्त किया है, जिस प्रक्रिया से गुजरे थे विकास प्राधिकरण से नक्शे ठीक करना पड़ेंगे, इसके लिए सरकार और अधिकारियों पर नजर रख रहे हैं। किसानों पर लादे गए मुकदमे वापस लिए जाएंगे। इसके लिए भी सरकार से बात करेंगे।
पूरे एक्ट को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे किसान
19 नवंबर को सरकार ने एक संशोधन आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि अब स्थायी अधिग्रहण बिल्डिंग निर्माण के लिए नहीं होगा, बल्कि केवल सडक़, नाली जैसे बुनियादी विकास कार्यों के लिए ही जमीन ली जाएंगी, लेकिन इस संशोधन पर भी भारतीय किसान संघ और कांग्रेस ने आपत्ति जताई और पूरे एक्ट को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे।
भाजपा विधायक ने भी लिखा था पत्र
दरअसल यह मामला 29 दिन से सरकार और किसानों के बीच झूल रहा था। 26 दिसम्बर को घेरा डाला डेरा डालो का आव्हान किसान संघ ने किया था, तभी से कयास लगाये जा रहे थे कि एक्ट एक दो दिन में सरकार द्वारा वापस ले लिया जायेगा। 15 दिसंबर को उज्जैन उत्तर से बीजेपी विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह वापस लेने की मांग की। विधायक ने चेतावनी दी थी कि अगर एक्ट वापस नहीं लिया गया तो वे किसानों के आंदोलन में शामिल होंगे।
विधायक के पत्र के अगले ही दिन यानी 16 दिसंबर को सरकार ने लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह वापस लेने का आदेश जारी कर दिया। इस तरह सीएम से किसान संगठनों की मुलाकात के 29 दिन बाद सरकार ने यह फैसला लेते हुए सिंहस्थ क्षेत्र में लैंड पूलिंग एक्ट को खत्म कर दिया।
