उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के सरकारी महकमों के बाद अब स्वास्थ्य विभाग में भी डिजिटल अटेंडेंस का डंडा चल गया है। जिले के सभी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में ‘सार्थक एप’ के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नई व्यवस्था ने उन कर्मचारियों और डॉक्टरों की नींद उड़ा दी है जो अक्सर अपनी ड्यूटी से ‘लामा’ (गायब) रहते थे। स्वास्थ्य विभाग के इस कदम से जिले के चिकित्सा तंत्र में हड़कंप मच गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. अशोक कुमार पटेल ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि अब जिले के समस्त अधिकारी और कर्मचारी केवल सार्थक एप के माध्यम से ही अपनी हाजिरी लगाएंगे। रजिस्टर या किसी अन्य माध्यम से दर्ज की गई उपस्थिति अब मान्य नहीं होगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कर्मचारियों का वेतन अब सीधे उनकी डिजिटल अटेंडेंस से जोड़ दिया गया है। यानी ‘सार्थक’ पर हाजिरी नहीं, तो जेब में वेतन नहीं।
धोखाधड़ी पर नकेल: अंधेरे में फोटो या घर से हाजिरी पड़ेगी भारी
प्रशासन ने तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए हैं। सार्थक एप में उपस्थिति दर्ज करते समय कर्मचारी को कार्यस्थल पर रहकर अपनी स्पष्ट फोटो खींचनी होगी। यदि कोई कर्मचारी जानबूझकर चेहरा ढककर या अंधेरे में धुंधली फोटो अपलोड करता है, तो उसे ‘अनुपस्थित’ माना जाएगा। इसके अलावा, घर से बैठकर हाजिरी लगाने या किसी दूसरे से प्रॉक्सी लगवाने को सेवा अनुशासन का गंभीर उल्लंघन माना जाएगा, जिस पर विभागीय कार्रवाई भी हो सकती है।
कर्मचारियों में संशय: क्या दिन में 4 बार लगानी होगी हाजिरी?
सार्थक एप लागू होते ही चरक अस्पताल और जिला अस्पताल के कर्मचारियों के बीच एक नई चिंता ने जन्म ले लिया है। दरअसल, अस्पताल के कई कर्मचारियों की ड्यूटी दो शिफ्ट में होती है। उन्हें सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक और फिर शाम को 5 से 6 बजे तक अस्पताल आना पड़ता है। ऐसे में कर्मचारियों के बीच यह चर्चा तेज है कि क्या उन्हें दिन भर में कुल 4 बार (दो बार आने और दो बार जाने के समय) एप पर हाजिरी दर्ज करनी होगी। इस तकनीकी संशय को लेकर फिलहाल कर्मचारी असमंजस में हैं।
पारदर्शिता के लिए राज्य स्तर से निर्देश
यह पूरी प्रक्रिया लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा राज्य स्तर पर लिए गए निर्णय का हिस्सा है। इसका उद्देश्य सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करना है, ताकि दूर-दराज से आने वाले मरीजों को इलाज के लिए भटकना न पड़े। उज्जैन में अब इस व्यवस्था को शत-प्रतिशत लागू करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
