मध्यप्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने उनके मंत्रिमंडल के मंत्रियों की जिलेवार तैनाती करके कोरोना से लड़ायी के मोर्चों पर अग्रेषित कर दिया है। परिणामस्वरूप उज्जैन में आज प्रशासन में चुस्ती-स्फूर्ति देखने को मिली। उज्जैन जिले का प्रभार मिलते ही उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने ताबड़तोड़ चरक एवं माधव नगर चिकित्सालयों का निरीक्षण कर कोरोना से पीडि़त भर्ती मरीजों की कुशल क्षेम पूछी और चल रहे उपचार में आ रही दिक्कतों के संबंध में चर्चा की। निश्चित तौर पर किसी जनप्रतिनिधि के पहुँचने से उपचाररत मरीज के आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है जो कि मरीज के जल्दी स्वस्थ होने में मददगार साबित होती है।
उज्जैन का जिला प्रशासन भी अब राहत की साँस जरूर लेगा क्योंकि जनप्रतिनिधि के साथ सामंजस्य के कारण बहुत सारे निर्णय लेने में आसानी होती है साथ ही किसी अप्रिय स्थिति के निर्मित होने पर जनप्रतिनिधि के प्रति नागरिकों के विश्वास के कारण आसानी से निपटा जा सकता है। एक बात और है कि चूँकि इस परिस्थिति में मुख्यमंत्री जी ने विश्वास व्यक्त कर अपने मंत्रियों की तैनाती की है तो मैदान में आने वाली समस्याओं का त्वरित निराकरण भी प्रभारी मंत्री के कारण होने की संभावना भी ज्यादा है। वर्तमान में सबसे अधिक तीन समस्याएँ दिखायी दे रही है एक तो अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने के लिये स्थान का अभाव माधव नगर, चरक, आरडीगार्डी सहित सभी निजी चिकित्सालय पूर्ण रूप से भरे हुए हैं अपुष्ट सूत्रों के अनुसार देवास जिले में स्थित अमलतास हॉस्पीटल में भी जितने पलंग आरक्षित किये गये थे वह भी भर चुके हैं।
जिस गति से प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या में वृद्धि हो रही है उससे तो आने वाले दिनों में और भयावह स्थिति निर्मित हो सकती है। सबसे पहली प्राथमिकता तो मरीजों को भर्ती करने के लिये स्थान और पलंगों की संख्या में वृद्धि करना है। क्या प्रशासन गाड़ी अड्डे चौराहे खेड़ापति हनुमान के सामने और देसाई नगर में वर्षों से बंद पड़े केन्द्र सरकार के बीमा चिकित्सालयों एवं फव्वारा चौक एवं अन्य जगह स्थित डिस्पेन्सरियों का उपयोग कर सकता है?
गाड़ी अड्डे चौराहे पर स्थित बीमा अस्पताल तो बहुत बड़े क्षेत्र में निर्मित है और शायद पलंग वगैरह भी होना चाहिये क्योंकि पूर्व में वहाँ पर कारखानों में कार्यरत श्रमिकों का उपचार किया जाता था। यदि इन भवनों का उपयोग हो सकने की संभावना हो तो प्रशासन को बहुत बड़ी राहत मिल सकती है। साथ ही सी.एच.एल. अस्पताल की सेवाएँ भी कोरोना संक्रमित मरीजों के लिये उपलब्ध हो सकती हो तो बेहतर होगा।
दूसरी प्राथमिकता शहर के शासकीय एवं निजी चिकित्सालयों में ऑक्सीजन की आपूर्ति निर्बाध रूप से हो यह सुनिश्चित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। रेमडेसिविर दो दिन बाद भी लगेगा तो मरीज जिंदा रह सकता है परंतु ऑक्सीजन आपूर्ति 5 मिनट भी बाधित रही हो सारी मेहनत बेकार हो जायेगी।
ऑक्सीजन के मामले में उज्जैन को ही आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रयास होना चाहिये वैसे चरक का ऑक्सीजन प्लांट काम करने लगा है यह नगरवासियों के लिये सौगात है।
तीसरी प्राथमिकता रेमडेसिविर इंजेक्शनों की आपूर्ति को देना होगी। रेमडेसिविर के अभाव में मरीज परेशान हो रहे हैं एवं उनके परिजन भटक रहे हैं। नागरिकों का प्रशासन के प्रति विश्वास कम हो रहा है और असंतोष बढ़ रहा है। प्रभारी मंत्री जी को चाहिये कि इसकी आपूर्ति के लिये उच्चस्तरीय प्रयास करके इस संकट को जल्द से जल्द समाप्त करवायें।
जनप्रतिनिधियों के लिये संकट का यह समय एक चुनौती के साथ अवसर भी है, जनप्रतिनिधि धर्म को निभाकर अपना कौशल और प्रतिभा दिखाकर पीडि़त नागरिकों को राहत दिलवाने का। इस आपातकालीन और युद्ध जैसे हालातों में चाहे सांसद, विधायक, महापौर, पार्षद, जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य, सरपंच, पंच सभी को दलगत राजनीति से उठकर वर्तमान हो या पूर्व मैदान में आकर मोर्चा संभालना चाहिये। हर पीडि़त व्यक्ति प्रशासन के पास नहीं पहुँच सकता किंतु वह अपने जनप्रतिनिधि तक आसानी से पहुँचकर अपनी पीड़ा साझा कर सकता है।
हे जनप्रतिनिधियों! तुम्हें कोई पीले चावल देने नहीं आता कि आ जाओ राजनीति में, तुम स्वयं अपनी इच्छा से आते हो और सेवा का यह मार्ग चुनते हो, तो अब इस धर्म का पालन करना तुम्हारा कर्तव्य है दुखी पीडि़तों की हर संभव मदद करो उन्हें सांत्वना दो संबल दो। बन जाओ शासन और पीडि़त के बीच का सेतू और निभाओ अपना धर्म मानवता और इंसानियत तुम्हें पुकार रही है।