कलेक्टर के आदेश को रखा ताक पर, आधा दर्जन से अधिक पहुंचे थे
उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी 19 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाया गया है। इस दौरान केवल पंडे पुजारियों के अतिरिक्त ड्यूटी करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को ही आवाजाही की अनुमति है। लेकिन कलेक्टर के आदेश को ताक पर रखकर सोमवार की दोपहर को आधा दर्जन से अधिक वीआईपी श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के गर्भगृह की दहलीज से दर्शन कराए गए।
सोमवार की दोपहर 11.30 से 12.30 बजे के बीच आधा दर्जन से अधिक वीआईपी श्रद्धालु महाकाल धर्मशाला के गेट से होकर सभामंडप तक आए और उन्होंने चांदी गेट से प्रवेश कर गर्भगृह की दहलीज से भगवान महाकाल के दर्शन किए। बताया जाता है कि किसी अधिकारी के उक्त वीआईपी परिचित थे और वह गुजरात के निवासी थे। इस दौरान नंदीहाल में पंडितों द्वारा कोरोना महाकारी से मुक्ति के लिए लघुरूद्र जाप किया जा रहा था।
इसके बावजूद मंदिर के अधिकारियों ने इन वीआईपी को उनके ही सामने दर्शन करा कर एक नई परिपाटी को शुरू कर दी। लॉकडाउन के दौरान आम श्रद्धालुओं के साथ-साथ वीआईपी श्रद्धालुओं के दर्शन पर भी पाबंदी लगी हुई है। इसके बावजूद इन वीआईपी को दर्शन कराकर मंदिर के अधिकारियों ने कलेक्टर के आदेश की तौहीन की है। पहले भी इस तरह की घटनाएं मंदिर में हो चुकी हैं, जिसमें लॉकडाउन के दौरान वीआईपी को दर्शन करने की अनुमति प्रदान की गई थी।
एक अधिकारी को चुकाना पड़ी थी कीमत
पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान जब मंदिर बंद था तो एक सहायक प्रशासक को केवल इस लिए हटा दिया गया था कि उन्होंने इंदौर में बैठे एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के मौखिक आदेश पर चार लोगों को भगवान महाकाल के दर्शन करवा दिए थे, लेकिन यह उनके लिए भारी पड़ गया था और तात्कालिन कलेक्टर ने उनको मंदिर से हटाकर कलेक्टर कार्यालय उज्जैन पदस्थ कर दिया था। लेकिन उस अधिकारी का कुछ भी नहीं बिगड़ा। यह मामला इसलिए प्रकाश में आ गया था क्योंकि इंदौर निवासी इन श्रद्धालुओं ने अपने फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए थे। ऐसे में हंगामा हो गया और उनको यहां से जाना पड़ा। जबकि उन्होंने मंदिर की बेहतरी के लिए अच्छे प्रयास किए थे।
किसने दिए आदेश…
लॉकडाउन के दौरान मंदिर में वीआईपी श्रद्धालुओं का दर्शन के लिए आना कोई नई बात नहीं है। पहले भी कई श्रद्धालु चोरी छिपे दर्शन कर जा चुके हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर श्रद्धालुओं द्वारा दर्शन की फोटा अथवा वीडियो वायरल करने पर ही मामला प्रकाश में आता है तो कार्रवाई की जाती है। सीसीटीवी फुटेज देखने के लिए मंदिर का कोई भी अधिकारी तैयार नहीं रहता और न ही कार्रवाई करना चाहता है क्योंकि दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु ‘वीआईपी’ होते हैं।