उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का हास्यास्पद बयान कि ‘हरिद्वार कुंभ में गंगा माँ की कृपा से कोरोना नहीं फैलेगा’ पढक़र लगा कि 21वीं सदी के भारत में ऐसे ही नेताओं के दम पर क्या हम विश्वगुरू बनेंगे? क्या इस मानसिकता के लोग हमारा प्रतिनिधित्व करने के लिये बचे हैं। या तो तीरथ सिंह जी भावना में बहकर ऐसा ऊल जलूल बयान दे बैठे हैं या फिर उत्तराखंड सहित इस देश की जनता को नेता जी बेवकूफ समझ रहे हैं।
माँ गंगा की पवित्रता और उसके धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को इस देश ने कभी भी कम नहीं आंका है। सारी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जहाँ नदियों को माँ का दर्जा दिया जाता है। और गंगा नदी को तो देश की नदियों में सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। हिंदु धर्म में मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से सारे पापों का नाश हो जाता है। मरने के बाद लोग गंगा में राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं यहाँ तक कि कुछ लोग गंगा किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा रखते हैं।
हमारी आस्थाएँ हो सकती है परंतु अंधभक्ति नहीं। शायद कोरोना की दूसरी लहर के इतने व्यापक तरीके से फैलने में भी कहीं न कहीं हमारी अंधभक्ति भी उत्तरदायी है। केन्द्र सरकार ने भी चेतावनी दी थी कि कुंभ, कोरोना संक्रमण फैलाने का बड़ा केन्द्र बन सकता है और केन्द्र की यह चेतावनी सच होती दिख रही है।
पिछले तीन-चार दिनों से उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या में विस्फोट होना पूरे देश के लिये चिंता का विषय बन गया है। उत्तरप्रदेश में सोमवार को 13685 कोरोना संक्रमित आये थे वहीं बुधवार को यह संख्या 18021 हो गयी। राजधानी लखनऊ में एक ही दिन बुधवार को 5382 कोरोना मरीजों की पहचान हुई है।
प्रयागराज से लेकर बनारस सहित सभी जगह कोरोना संक्रमण से हलाकान है। उत्तरप्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ उनके कई मंत्रियों सहित कोरोना संक्रमित होकर क्वारेंटाईन है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कोरोना के शिकार हो गये हैं।
पहाड़ों की भी हालत ठीक नहीं है उत्तराखंड में पिछले 4 दिनों से 1000 के ऊपर ही कोरोना संक्रमित निकल रहे हैं। बुधवार को जहाँ 1925 लोग कोरोना संक्रमित निकले वहीं 13 मौतें भी हुयी। देहरादून में 775, हरिद्वार में 594, नैनीताल में भी 217 व्यक्ति कोरोना संक्रमित निकले हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गये केाविड-19 नियमों के बावजूद तीसरे शाही स्नान पर लाखों लोगों ने डुबकी लगायी जिसमें अधिकांश लोग बिना मास्क के थे और सामाजिक दूरी का पालन करते भी नहीं दिखाये दिये।
1 से 30 अप्रैल तक चलने वाले इस कुंभ मेले में प्रवेश को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आने वाले श्रद्धालुओं के लिये कोविड-19 की रिपोर्ट जिसमें उनके संक्रमित ना होने की पुष्टि हो या टीकाकरण रिपोर्ट लाना अनिवार्य कर दिया था। उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन कराना इतनी जनमैदिनी में संभव नहीं है।
उत्तराखंड में अब तक कोरोना के 1 लाख 12 हजार 71 मामले आ चुके हैं और 1780 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि जी भी कोरोना संक्रमित होकर ऋषिकेश के एम्स में भर्ती हैं और उनकी हालत स्थिर बतायी जा रही है। अभी कुंभ को 15 दिन और बाकी है ईश्वर ना करे कि कोई अप्रिय स्थिति बने नहीं तो वहाँ पर तो कोरोना मरीजों के लिये पलंग भी मात्र 71 ही है। 100 पलंग की क्षमता वाले राजकीय मेला अस्पताल में 70 पलंग कोरोना के लिये और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बहादुरवल में मात्र 1 पलंग कोरोना मरीज के लिये हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का बयान जिस दिन आया उसी दिन हरिद्वार कुंभ में 18 हजार 169 व्यक्तियों की जाँच में 102 व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। विज्ञान के युग में जी रहे मुख्यमंत्री का यह बयान निंदा योग्य है यदि माँ गंगा के जल से कोरोना संक्रमण नहीं होगा तो सारा देश इस पवित्र गंगा में डुबकी लगाने को तैयार बैठा है फिर टीकाकरण अभियान और चिकित्सालयों का औचित्य ही क्या है?