कोरोना इस समय अपनी भयावह स्थिति में पहुंच चुका है। अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल रहे हैं। यदि अस्पतालों में बिस्तर मिल रहे हैं तो वहां आक्सीजन उपलब्ध नहीं हो रही है। जहां बिस्तर और आक्सीजन उपलब्ध है वहांं पर चिकित्सकों की कमी बनी हुई है।
कुल जमा इस समय स्थिति बद से बदत्तर हो चुकी है और ज्यादा स्थिति तो चक्रतीर्थ पर दयनीय बनी हुई है। मृत शरीर का अंतिम संस्कार करने के लिये भी घंंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
ऐसा लग रहा है कि उज्जैन शहर की चिकित्सा व्यवस्था को कोई ग्रहण लग गया हो। प्रशासन मौत के लाख आंकड़े छुपा ले किन्तु जिसने अपने परिवार का सदस्य खोया है। वह सब परिस्थितियों को जान रहा है। सबसे ज्यादा निकम्मापन इस समय प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह का नजर आ रहा है।
उज्जैन शहर की चिकित्सा व्यवस्था को लेकर वह गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। शायद अब उन्होंने अपनी पार्टी के एक पूर्व विधायक को खो दिया है। इसके बाद शायद शिवराज अब नींद से जाग जायें।
इंजेक्शन और आक्सीजन व्यवस्था को लेकर भी मुख्यमंत्री उज्जैन के प्रति अभी तक चिंतित नजर नहीं आये हैं। पूरा मामला अधिकारियों के भरोसे पर छोड़ दिया है। शहरवासी मुख्यमंत्री की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं।