- माधवनगर अस्पताल में बेड की कमी से गई सेवानिवृत पीएचई कर्मी की मौत
- कोरोना संक्रमित को परिजन ही ले गए अंतिम संस्कार के लिए
उज्जैन,अग्निपथ। कोरोना संक्रमण किस तरह से भयावह रूप दिखा रहा है इसका एक और उदाहरण शुक्रवार को सामने आया है। बेड की कमी के चलते डाक्टर ने बिना निगेटिव रिपोर्ट मरीज की छुट्टी कर दी। पीडि़त को घर पर आक्सीजन भी लगाया, लेकिन फिर भी सेवानिवृत पीएचई कर्मचारी की जान चली गई।
जयसिंहपुरा निवासी बंटू मुच्छा ने बताया कि उनके पिता कांतिलाल (62) को आठ दिन पहले कोरोना संक्रमित होने पर माधवनगर अस्पताल में भर्ती किया था। गंभीर होने पर उन्हें आक्सीजन पर रखा था। हम इंदौर से 15-15 हजार रुपए में छह रेमडेसिविर इंजेक्शन लाए और पांच लगवा भी दिए। हालत में सुधार नहीं होने पर भी 14 अप्रैल की रात बिना जांच उनके पिता की छुट्टी कर दी गई। घर ले जाते ही हालत बिगडऩे पर आक्सीजन सिलेंडर खरीदकर लगाया, लेकिन गुरुवार रात में आक्सीजन खत्म होने से उनकी मौत हो गई।
नतीजतन हमने शुक्रवार को शव ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया। बताया जाता है कांतिलाल पीएचई से सेवानिवृत हुए थे। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. महावीर खंडेलवाल से चर्चा का प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
अमलतास में मौत की रिपोर्ट का भी बिल
अमलतास हॉस्पीटल में अलग ही तरह का मामला सामने आया। यहां मक्सीरोड निवासी व्यक्ति की मौत होने पर परिजनों ने शव मांगा तो उन्होंने पॉजीटिव बताते हुए मना कर दिया और रिपोर्ट आठ दिन बाद देने का कहा।
परिजनों ने मन्नत की तो 600 रुपए में तुरंत रिपोर्ट देने पर तैयार हो गए और निगेटिव की रिपोर्ट थमा दी। निगेटिव होने पर परिजनों ने शव मांगा तो सौंपने से इंकार कर दिया।
इस हालत के लिए जिम्मेदार कौन
मुच्छा की मौत के लिए अस्पताल व स्टॉफ को शायद जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सका। वजह जिस तरह से संक्रमित बढ़ रहे हंै और रिपोर्ट आने में देरी हो रही है। उस हालत में बेड व आक्सीजन की कमी कारण थोड़ा सा स्वस्थ दिखने पर बिना जांच छुट्टी करना पड़ रही है जो मरीजों के लिए घातक सिद्ध हो रही है।