धीरेंद्र सिंह तोमर
धार, अग्निपथ। कोरोना का यह दूसरा लपेटा कई को बेनकाब कर रहा है। इस दूसरे मौके को मौकापरस्त किसी भी कीमत पर नहीं छोडऩा चाहते हैं। कहते हैं पिछली बार बहुत चोट हो गई कमा ही नहीं सके, सभी ने जी भर के कमाया। यही समय है। लूट लो। हॉस्पिटल में बिना रिकमेंड के पलंग नहीं मिल रहा है और पलंग मिल भी जाए तो इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। इंजेक्शन आ जाए तो बिन सिफारिश के लग नहीं रहा है।
ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी से किसी ने दम तोड़ दिया तो कहीं इंफेक्शन से मरी लाशों से सोने चांदी के गहने उतारने का सुनहरा मौका भी कोई जाने नहीं दे रहा है। जी हाँ यह कड़वा सच है।
कई निजी अस्पताल अपने सगे संबंधियों को पलंग देने में रिश्ते निभा रहे है क्योंकि मरीजों की तो कोई कमी है नहीं। या फिर ऐसे मरीज लिए जा रहे हैं जिनकी ऊंची पहुंच है। ताकि ऐसे मरीजों से पैसा तो पूरा लिया जावेगा पर किसी भी वक्त उन्हें इस एहसान के बोझ से दबा दिया जाएगा।
सोशल मीडिया पर राजनीति से ग्रसित लोग ऐसे समय में भी किसी भी मौके को खोना नहीं चाहते हैं। रूलिंग पार्टी के समर्थक अपनी उंगली कटवाकर शहीदों में नाम लिखवाना चाहते हैं तो अपोजिशन के लोग सकारात्मक खबरों में भी ऐब ढूंढ रहे हैं। बस इस समय कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाह रहा है। मीडिया के द्वारा खबरें जानकारी से ज्यादा मन में डर पैदा कर रहीं है।
ग्रामीण क्षेत्रों में शादियों का दौर है जो इस महामारी में भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में भी संक्रमितों का प्रकोप और मौत के आँकड़ बड़े हैं जो कि चिंता का विषय है। हालांकि हमारे आदिवासी जिले में शादियों में भीड़ भाड़ पूर्व की भांति ही है जिसे नियंत्रण करना भी बेहद कठीन टास्क है।