एक आदेश के तहत भारतीय जनता पार्टी से चुनाव जीतने वाले दो पार्षदों को आगामी 5 वर्ष के लिए चुनाव लडऩे से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। हालांकि दोनों ही पार्षद कुछ समय पूर्व भारतीय जनता पार्टी से अलविदा कह चुके थे। दोनों ही पार्षद सीएए और एनआरसी के विरोध में चल रहे धरने में अपना समर्थन देने बेगम बाग धरना स्थल पर गए थे। धरना स्थल पर जाने के साथ ही दोनों पार्षदो ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उसी के बाद से लग रहा था कि दोनों के ऊपर आने वाले समय में राजनैतिक कार्रवाई जरूर होगी। हालांकि इस राजनैतिक कार्रवाई को पूरी तरह से कागजी न्याय का स्वरूप दिया गया है। जिसके चलते चाह कर भी कोई विरोध नहीं कर सकता है। किंतु कहीं ना कहीं इस कार्रवाई की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के चुने हुए निगम सभापति के माध्यम से ही शुरू हुई थी। जिस तरह से यह कार्रवाई हुई है उसके बाद एक बार फिर अल्पसंख्यकों का विश्वास भारतीय जनता पार्टी पर से हिलना तय है। वहीं राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि इस तरह की कार्रवाई से आने वाले समय में मझधार में इस्तीफा देने वालों को सबक मिलेगा। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह राजनैतिक हिसाब है जो अब पूरा हुआ है।