जन भावना तथा महामारी का विकराल रूप देखते हुए देर रात लिया निर्णय
उज्जैन, अग्निपथ। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर पहली बार कोरोना महामारी के निवारण तथा नगर में सुख समृद्धि की कामना को लेकर निरंजनी अखाड़े की जगह कलेक्टर आशीषसिंह ने नगर पूजा की। नगर पूजा को लेकर इस बार संशय की स्थिति थी। जनभावना को देखते हुए और कोरोना महामारी की भयावहता को देखकर सोमवार देर रात कलेक्टर ने इस संबंध में निर्देश जारी किए। इसके बाद देररात व्यवस्थाएं जुटाई गई।
कोरोना महामारी के उन्मूलन के लिए एक दिन पहले ही महाकाल मंदिर में अति रूद्र महामृत्यंजय अनुष्ठान का आयोजन संपन्न हुआ है।
मंगलवार को चौबीस खंबा माता मंदिर स्थित माता महामाया व महालया को मदिरा का भोग अर्पित कर कलेक्टर ने नगर पूजा की शुरुआत की। इसके बाद अधिकारी व कोटवारों का शासकीय दल नगर पूजा के लिए रवाना हुआ। महा अष्टमी पर नगर पूजा की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है।
मान्यता है सम्राट विक्रमादित्य ने भी अपने शासनकाल में महामारी आने पर नगर पूजा की थी। इसके प्रभाव से महामारी का विनाश हुआ था। हालांकि प्रशासन द्वारा शारदीय नवरात्र की अष्टमी पर ही नगर पूजा की जाती है।
निरंजनी अखाड़े द्वारा सन-2018 में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर नगर पूजा की परंपरा शुरू की गई थी। लेकिन पिछले वर्ष कोरोना महामारी के प्रसार को देखते हुए उनको अनुमति नहीं मिल पाई थी। इस साल भी यही हुआ। लेकिन जनभावना बनी हुई थी कि कोरोना महामारी को लेकर नगर पूजा का आयोजन किया जाए। इसी को दृष्टिगत रखते हुए प्रशासन ने मंगलवार को महा अष्टमी पर नगर पूजा कराने का निर्णय लिया।
40 देवी भैरव मंदिरों में चढ़ाई धार
मंगलवार शाम तक नगर के 40 देवी व भैरव मंदिरों में नगर पूजा की गई। शाम को गढक़ालिका क्षेत्र स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर नगर पूजा का समापन हुआ। इस दौरान सतत नगर में मदिरा की धार लगाई गई तथा पूरी भजिए अर्पित किए गए। मान्यता है कि नगर पूजा से देवी देवता प्रसन्न होते हैं। आश्रितों को तृप्ति मिलती है और वह प्रसन्न होकर नगर को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
हरसिद्धि में की शासकीय पूजा
देश के 52 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि मंदिर में दोपहर 12 बजे कलेक्टर आशीष सिंह ने माता हरसिद्धि का पूजन किया। देवी को सौभाग्य सामग्री अर्पित कर नगर की खुशहाली तथा कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए प्रार्थना की। शक्ति पीठ में शाम 6.30 बजे हवन हुआ।