एक लाख रुपये के 6 इंजेक्शन खरीदे फिर भी नहीं बची मां की जान, माँ की मौत के बाद बेटियों ने अस्पताल गेट पर दिया धरना

सेल टैक्स विभाग की क्लर्क को पहले बताया पॉजीटिव, मरने के बाद निगेटिव

उज्जैन, अग्निपथ। माधव नगर अस्पताल में सेलटैक्स विभाग की महिला क्लर्क पिछले दिनों कोरोना से संक्रमित होकर उपचार के लिये भर्ती हुई थीं। उनको सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। उन्होंने 12 अप्रैल को जांच कराई जिसमें उनकी रिपोर्ट कोरोना पाजीटिव आई।

डॉक्टर के परामर्श के बाद रेमडेसिवर इंजेक्शन भी लगाए गए। लेकिन छह दिन तक उपचार चलने के बाद सोमवार की रात उनकी मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन द्वारा परिजनों को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के साथ शव सुपुर्द किया जा रहा था। इस पर परिजन आक्रोशित हो गये और उन्होंने अस्पताल के मेनगेट पर बैठकर धरना शुरू कर दिया।

देसाई नगर निवासी कृष्णाबाई पति देवराज सेलटैक्स विभाग में कार्यरत थीं। उनको 14 अप्रैल को माधव नगर अस्पताल में उपचार के लिये भर्ती कराया था। डॉक्टर के कहने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन भी अरेंज किये। कुल 6 इंजेक्शन लग चुके थे। जोकि करीब 1 लाख रुपए के खरीदे थे।

सोमवार की रात 11 बजे अच्छे से बात कर रही थीं। फिर अचानक उनकी तबियत बिगड़ी। उन्हें आईसीयू वार्ड में भर्ती किया। कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई। इस दौरान अस्पताल स्टाफ ने किसी को उनसे मिलने नहीं दिया। सुबह परिजन शव लेने अस्पताल पहुंचे तो यहां अस्पताल प्रशासन द्वारा शव के साथ कोरोना निगेटिव रिपोर्ट बनाकर दी जा रही थी। इसी को लेकर परिजन आक्रोशित हो गये और अस्पताल के गेट पर धरना देकर बैठ गये।

मेडिकल से ब्लैक में खरीदे रेमडेसिवर इंजेक्शन

कृष्णाबाई की बेटी अंजू वासेन ने बताया कि रेमडेसिविर के 6 इंजेक्शन उज्जैन की अलग-अलग दुकानों से खरीद कर दिए। जो करीब एक लाख रुपए के आसपास मिले। पहले दो डोज 25 हजार में बाद में कोई 13 तो कोई 17 हजार में मिला। इसके बाद भी हमारी मां को बचाया नहीं जा सका।

अब अस्पताल के डॉक्टर कह रहे हैं कि उनकी मां निगेटिव थीं। उनकी बेटी ने कहा कि इतने महंगे इंजेक्शन लगने के बाद भी उनको बचाया नहीं जा सका। मामला बढऩे पर कलेक्टर ने एसडीएम अभिषेक वर्मा को मौके पर भेजा। एसडीएम ने बेटियों को समझाया। इसके बाद परिजन को पॉजीटिव रिपोर्ट सौंपने की बात कही।

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