‘इस समाज का हिस्सा होने पर हम शर्मिंदा हैं’, रेमडेसिविर की सप्लाई को लेकर महाराष्ट्र सरकार को बॉम्बे हाई कोर्ट की फटकार

जस्टिस एस बी शुकरे और एस एम मोदक की खंडपीठ ने कहा, ‘अगर आप को खुद पर शर्म नहीं आ रही है, तो हम इस बुरे समाज का हिस्सा होने पर शर्मिंदा हैं। ऐसे ही हम अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रहे हैं। आप हमारे मरीजों के प्रति लापरवाह हैं। हम आपको एक समाधान देते हैं लेकिन आप उसका पालन नहीं करते। आप हमें कोई समाधान देते नहीं है। यहां क्या बेहूदगी चल रही है।’

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, कोर्ट ने यह भी कहा, ‘इस जीवन रक्षक दवा का लोगों को न मिलना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। यह अब साफ है कि ये प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से पीछे भाग रहा है।’

हाई कोर्ट की पीठ अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, लोगों को हो रही परेशानियों सहित कोरोना महामारी से जुड़ी कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट ने यह भी कहा कि उसकी मंशा किसी के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेने की नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करने की है कि नागरिकों को परेशानी का सामना न करना पड़े।

क्या है पूरा मामला?
महाराष्‍ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हालात बेहद खराब हैं। राज्‍य के अधिकांश शहरों जैसे मुंबई, नागपुर पुणे समेत अन्‍य में संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अस्‍पतालों में बेड और ऑक्‍सीजन भी कम पड़ रही है। साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्‍शन की कमी हो रही हैं। इस कमी को देखते हुए बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने राज्‍य की उद्धव सरकार को आदेश दिया है कि वह सोमवार रात 8 बजे तक नागपुर में 10 हजार रेमडेसिविर के इंजेक्‍शन की सप्‍लाई सुनिश्चित करे।

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