कोरोना महामारी के दौर में आपदा में अवसर तलाशने वालों को जिला प्रशासन ने मानो छूट दे रखी है। चारों ओर सबकुछ लॉक किया है। किराना, फ्रूट, सब्जी आदि जरूरी चीजों को अब प्रशासन होम डिलेवरी के जरिए घर-घर भिजवाने की तैयारी में है।
प्रशासन ने किराना व अन्य सामान घर-घर भेजने वाले व्यापारियों की लिस्ट जारी कर अपने कत्र्तव्यों की इतिश्री कर ली है। लेकिन इस बारे में विचार नहीं किया कि यह लोग किस भाव में सामान बेचेंगे। पिछले साल इन्हीं किराना व्यापारियों ने मनमाने दामों पर जरूरी सामान बेचा था। अब वही व्यापारी फिर मार्केट में हैं जो आपदा में अवसर देख खुशी-खुशी होम डिलेवरी के लिए लालायित हैं।
पिछले साल इंदौर, रतलाम, भोपाल सहित कई शहरों में प्रशासन ने हर जरूरी सामान जैसे आटा, दाल, शकर, तेल व फ्रूट्स के दाम तय कर दिए थे। लेकिन उज्जैन में एमआरपी की दरों पर सामान बेचने की अनुमति दी गई थी। जिसकी आड़ में व्यापारियों ने जमकर चांदी काटी। क्योंकि यह सामान ऐसे हैं जिनकी एमआरपी और वास्तविक दरों में एक बड़ा अंतर होता है। इसका फायदा व्यापारियों ने उठाया और जनता ठगी गई। अबकी बार प्रशासन ने इस बारे में क्या सोचा है।