कॉल करने के बाद भी एम्बुलेंस नहीं आई, दूसरी बीमारियों के मरीजों को भटकना पड़ रहा
उज्जैन, अग्निपथ। कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों को अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। शहर में दमे की शिकार एक महिला की तबीयत बिगडऩे पर जब एम्बुलेंस नहीं आई तो परेशान पति ने एक व्यक्ति की मदद से पत्नी को ऑक्सीजन लगाकर ठेले पर डाला और अस्पताल तक ले गया।
आगर मालवा जिले की सुसनेर गांव की 30 वर्षीय छोटी बी को दमे की शिकायत है। पति इब्राहिम उसका इलाज करवाने के लिए बाईक से उज्जैन लाया। विराट नगर में एक रिश्तेदार के घर पर पत्नी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। एम्बुलेंस को फोन किया लेकिन जवाब नहीं मिल पाया। पति के रिश्तेदार भी परेशान हो गए।
जब एम्बुलेंस आने की उम्मीद खत्म हो गई तो आक्सीजन सिलेंडर और ठेले की जुगाड़ की गई। पास की रहने वाले पड़ोसी कल्लू ने सिलेंडर और ठेला दिलाने में मदद की। महिला को आक्सीजन लगा दिया और ठेले पर डालकर अस्पताल ले गए। इब्राहिम ने ठेला धकाया तो कल्लू ने आक्सीजन सिलेंडर संभाला।
लगभग डेढ़ किमी का सफर तय कर महिला को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इब्राहिम ने कहा- अभी तो जैसे तैसे पत्नी की जान बचा ली, लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से परेशान हूं।
जिसने भी देखा ठिठक गया
इस मंजर को रास्ते में जिसने भी देखा वो वो वहीं पर ठिठक कर खड़ा हो गया। ये हालात स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत बयां कर रही है। सरकार आम आदमी को कितनी सुविधाएं दे पा रही है और कितनी नहीं। महिला को सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी। परिवार के सदस्यों ने जुगाड़ कर और सूझ बूझ से सही समय पर उसे अस्पताल पहुंचा कर जान बचा ली। महिला अभी अस्पताल में भर्ती है और ऑक्सीजन लगी हुई है।
देर होती तो अनहोनी हो जाती
छोटी बी के पति इब्राहिम सिर्फ आठवीं क्लास तक पढ़े हैं। इब्राहिम का कहना है अगर चंद सेकेंड की देर हो जाती तो कुछ भी हो सकता था। लेकिन सही समय पर सही निर्णय लेकर उन्होंने अपनी पत्नी की जान बचा ली। लेकिन अब शहर में ऑक्सीजन की किल्लत मची हुई है। ऐसे में बड़ी परेशानी यह है कि जैसे तैसे जान बचा ली आगे क्या करेंगे नहीं जानते।