हमारे हिंदू धर्म पौराणिक ग्रंथ बताते हैं कि देव और दानवों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था। मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकी नाग को नेती बनाया गया था। स्वयं भगवान विष्णु कच्छप अवतार लेकर मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर रखकर उसका आधार बन गये थे। भगवान नारायण ने दानव रूप से दानवों में और देवता रूप से देवताओं में शक्ति का संचार किया।
समुद्र मंथन में से सबसे पहले हलाहल विष निकला। विष की ज्वाला से दैत्य, दानव जलने लगे तब भगवान शंकर ने उस विष को हथेली पर लेकर पीया उनकी हथेली से थोड़ा सा विष पृथ्वी पर टपक गया जिसे सांप, बिच्छु आदि विषैले जंतुओं ने ग्रहण कर लिया। मंथन में से कामधेनु गाय, उच्चै:श्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कोस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रम्भा अप्सरा, लक्ष्मी जी, वारुणी, चंद्रमा, परिजात वृक्ष, शंख और अंत में धन्वन्तरि वैद्य अमृत का घट लेकर प्रकट हुए।
शायद फिर एक बार यह कोरोना समय को मथ रहा है। काल के इस मंथन में दो ही तरह के लोग निकल रहे हैं एक देवता के रूप में और दूसरे दानव के रूप में। देवता भी मनुष्य के रूप में ही है, जो इस भयानक संकट के दौर में पीडि़तों के लिये मसीहा, पैगम्बर, देवदूत, ईश्वर, अल्लाह, जीजस, वाहे गुरू साबित हो रहे हैं। काल के इस मंथन में जो दानव निकलकर सामने आ रहे हैं वह भी मानव का चोला ओढ़े हुए थे। यह राक्षस और शैतान इसी समाज में घूम रहे थे। संकट की इस घड़ी में यह चेहरे बेनकाब हो गये हैं।
काल के मंथन में जो देवदूत सामने आये उनमें हमारे स्वास्थ्यकर्मी हैं जो जान की बाजी लगाकर अपने घर परिवार, बच्चों की परवाह किये बिना मरीजों की सेवा कर रहे हैं। दूसरे हमारे प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी है जो कानून व्यवस्था की स्थिति संभालने के लिये जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। तीसरे सफाईकर्मी भाई जो आपके गली-मोहल्लों से लेकर श्मशान तक में अपना धर्म निभा रहे हैं, जबकि मौत बनकर यमराज शहर की सडक़ों पर बेखौफ होकर भ्रमण कर रहे हैं।
यह तीनों रत्न तो शासकीय सेवा में रहते हुए अपना धर्म निभा रहे हैं परंतु समाज में भी कुछ लोग देवता समान होकर मरीजों और उनके परिवार के लिये रहनुमा बन रहे हैं। उज्जैन के साथ ही देश के अन्य शहरों में भी मानवता के पुजारी अपने निजी खर्च से ऑक्सीजन सिलेण्डरों की व्यवस्था कर रहे हैं, कहीं भोजन की व्यवस्था हो रही है। मैं उस 24 साल के नवजवान को भी सेल्यूट करना चाहूँगा जो पेशे से ट्रक चालक है जिसने भिलाई से चलकर 24 घंटे बिना रूके ट्रक चलाकर भोपाल ऑक्सीजन का टेंकर पहुँचाकर कई मरीजों की जान बचायी।
मैं सेल्यूट करता हूँ उन देवताओं रूपी श्मशान में तैनात कर्मियों की जो कोरोना संक्रमित शवों का बिना रूके, बिना थके अंतिम क्रिया कर्म कर रहे हैं और ऐसी स्थिति में जबकि खून के रिश्ते भी मौत के भय से लाश को हाथ लगाने से डर रहे हैं। हर वह इंसान जो इस समय गरीबों और मुसीबत में फँसे लोगों के काम आ रहा है चाहे वह व्यापारी हो, उद्योगपति हो, नेता या अभिनेता सब देवता तुल्य ही है।
यह तो हुयी देवताओं की बात। अब काल के इस मंथन में समाज के सामने आये हैं दानवों को भी देखें। ऐसे ही आठ दानवों को पकडऩे में उज्जैन पुलिस को सफलता मिली है जो इंसानियत और मानवता को कलंकित करने वाला घृणित कार्य पिछले कई दिनों से कर रहे थे, मरीजों के लिये आये रेमडेसिविर इंजेक्शनों की चोरी करके उन्हें 60-60 हजार में बेच रहे थे। भोपाल में कुछ दानव पकड़ाये हैं जो कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जगह पानी का इंजेक्शन लगाकर इंजेक्शनों को ब्लैक में बेच रहे थे। रतलाम में भी दानवों की ऐसी गैंग पकड़ायी है।
बनारस की भी घटना ह्रदय को विदीर्ण करने वाली है वहाँ अर्थी को कंधा देने के लिये 5-5 हजार रुपये लिये जा रहे हैं। संकट की इस घड़ी में अर्थपिशाच कतिपय चिकित्सालय भी शामिल है जो मौके का फायदा उठाकर रोगियों से अनाप-शनाप शुल्क वसूल रहे हैं। निजी अस्पतालों द्वारा 24 घंटों का बिल 25 से लेकर 30 हजार तक वसूला जा रहा है। कल्पना कीजिये क्या कोई निम्न मध्यमवर्गीय या गरीब अपना उपचार इस समय करवा सकता है?
कुछ शैतान डॉक्टर भी रेमडेसिविर और इंजेक्शनों की कालाबाजारी में शामिल है जिन्हें बेनकाब होना बाकी है। कोरोना में दानव बने इन सबको लग रहा है जितना लूट सको लूट लो।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कुछ महीनों पहले कहा था कि आपदा को अवसर में बदल लो शायद देवता तो यह बात नहीं सुन पाये पर दानवों ने इस पर पूरी तरह अमल किया और आपदा को अकूत धन संपदा बनाने के लिये उपयोग किया।
बीते दिनों मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने प्रदेश के भूमाफिया, ड्रग्स माफियाओं, रेत माफियाओं के विरुद्ध ऑपरेशन चलवाया था इन सबसे ज्यादा खतरनाक तो यह लोग है जो इंसानों की जिंदगी से खेल रहे हैं। प्रदेश भर में पकड़ाये लोगों पर रासुका की कार्यवाही किये जाने पर शासन का धन्यवाद परंतु पकड़ाये आरोपियों के घरों पर भी शासन का हथौड़ा चलना चाहिये ताकि दूसरा कोई ऐसी हिमाकत ना कर सके।
खैर दुनिया की इस अदालत से बड़ी एक और अदालत भगवान की है जो इन पापियों को दंड दिये बिना नहीं छोड़ेगी जो मानवता और इंसानियत को तार-तार कर रहे हैं।