श्रृंगार के लिए महाकाल मंदिर में कहां से आई भांग..?

भांग घोटे बंद होने के चलते कहां से ला रहे, कलेक्टर के आदेश को भी पलीता

उज्जैन, अग्निपथ। भगवान महाकाल का भांग श्रृंगार करने के लिए अब पुजारी-पुरोहित चोरी से भांग ला रहे हैं। ऐसे में जहां एक ओर आबकारी नियम का उल्लंघन हो रहा है तो दूसरी ओर कलेक्टर के जनता कफ्र्यू को पलीता लग रहा है। अपने यजमानों से दक्षिणा लेने के चक्कर में गौरखधंधा करने में भी पीछे नहीं हट रहे हैं। इस समय भांग घोटे बंद हैं। ऐसे में आखिरकार कौन सा भांग घोटा संचालक इनको भांग का विक्रय कर रहा है। हाल ही में एक भांग घोटा संचालक पर जिला प्रशासन घर से भांग का विक्रय करते हुए पकड़ा जा चुका है।

ऐसा लगता है कि शहर के भांग घोटा संचालक चोरी छुपे भांग का विक्रय अभी भी कर रहे हैं। तभी तो शहर के भांग प्रेमियों को आसानी से भांग मिल रही है। बुधवार को भगवान महाकाल का संध्या भांग श्रृंगार बिना प्रशासनिक मदद के भांग से किया गया है। ऐसे में सवाल इस बात का उठता है कि आखिरकार भांग घोटे बंद होने के बावजूद भगवान महाकाल का श्रृंगार करने के लिए भांग कहां से आ गई।

यह आबकारी नियमों का खुला उल्लंघन है। क्योंकि भगवान महाकाल का भांग श्रंृगार करने के लिए डेढ़ से दो किलो भांग की आवश्यकता पड़ती है। जोकि लगभग एक हजार रुपये प्रतिकिलो के भाव से आता है। नियमानुसार बिना प्रशासनिक मदद के भांग श्रृंगार करवाने की जगह महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से मदद मांगी जानी चाहिए। ऐसा कौन सा भांग घोटा संचालक है, जिसने अवैध रूप से भांग प्रदाय कर दी है।

प्रशासन से बोलने में क्यों डर रहे

पुजारी पुरोहित जिला प्रशासन से बोलने में ऐतराज करते हैं। जबकि भांग का श्रृंगार किया जाना एक परंपरा जिसको पिछले लॉकडाउन में भी तात्कालिन कलेक्टर शशांक मिश्र के आदेश के बाद आबकारी विभाग द्वारा भांग का इंतजाम कर निभाया गया था। इस बार भी यदि पुजारी पुरोहित जिला प्रशासन के अधिकारियों से बात करते हैं तो इसकी व्यवस्था सुनिश्चित हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं किया जाकर अवैध रूप से भांग लाई जाकर भांग श्रृंगार करवाया जा रहा है।

दक्षिणा के चक्कर में किया गया

जानकारी के अनुसार भगवान महाकाल के भांग श्रृंगार की बुकिंग अगले दो माह तक की है। ऐसे में प्रतिदिन जो भी श्रृंगार कराएगा उसको भांग श्रूंगार करवाने के बाद ही उनके यजमानों से अर्थ की प्राप्ति होगी अथवा एडवांस में लिया जा चुका है। ऐसे में बिना प्रशासनिक मदद के अवैध रूप से भांग का श्रृंगार करवाकर गलत गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का काम किया जा रहा है।

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