उज्जैन, अग्निपथ। क्या एक व्यक्ति के 2 नाम हो सकते हंै। जिसमें 1 नाम के आधार पर उसने निर्दलीय चुनाव लड़ा। हार तो पक्की ही थी। जो हुई भी। मगर चुनाव रिजल्ट आने के बाद विधायक को मंत्री पद मिल गया। मंत्री बनते ही निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले युवा को दूसरे नाम से अपना प्रतिनिधि बना दिया गया।
हम उन्हीं प्रतिनिधि की बात कर रहे हैं। जो इन दिनों माधव नगर अस्पताल कांड के कारण सुर्खियों में है। जिनका नाम अभय विश्वकर्मा है। उन पर माधव नगर अस्पताल प्रभारी डॉ. कुमरावत ने गंभीर आर्थिक आरोप लगाये हंै। मगर इसके पहले डॉ. कुमरावत ने निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल को एक संदेश सोशल मीडिया पर भेजा था। 1 मई के दिन। जिसमें उन्होंने अभय विश्वकर्मा द्वारा, अस्पताल को हाईजैक करने के साथ, निवेदन किया था कि…उनका तबादला नागदा कोविड सेंटर कर दिया जाये।
निर्दलीय प्रत्याशी …
अब जरा पिछले विधानसभा चुनाव 2018 की हम याद दिलाते है। दक्षिण विधानसभा से चुनाव लडऩे वालो में डॉ. मोहन यादव सहित राजेन्द्र वशिष्ठ, जयसिंह दरबार, डॉ. राधेश्याम मिश्रा, इंदरलाल मकवाना, पंकज मंडलोई, शैलेन्द्रसिंह रूपावत, अजय सनोतिया, सविता भंडारी के अलावा ईशान विश्वकर्मा भी चुनाव मैदान में थे। जिन्होंने अपने शपथ पत्र में वही फोन नम्बर डाला था, जो आज भी वह उपयोग करते है। इसके अलावा अपनी ई-मेल आईडी में अभय नाम का उपयोग किया था। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ईशान विश्वकर्मा को 356 वोट मिले थे। देखे ईशान द्वारा दिये गये शपथ पत्र की कापी।
चर्चा…
माधव नगर अस्पताल कांड के बाद अब भाजपाइयों में यह चर्चा है कि…आखिर जिस ईशान विश्वकर्मा ने अपने आराध्य- अपने गुरू-प्रेरणादायक के खिलाफ ही चुनाव लड़ा था। उसी को आखिर मंत्री बनते ही डॉ. यादव ने अपना स्वास्थ्य विभाग का प्रतिनिधि कैसे बना दिया। यह चर्चा भाजपा में जमकर है। जिसके बाद 30 हजारी डिमांड का मामला उजागर हो गया है। यही कारण है कि भाजपाई दबी जुबान में चर्चा कर रहे है कि…जिसने विरोध में चुनाव लड़ा, वही आज मंत्री का प्रतिनिधि है।