कोरोना काल में यदि किसी नेता ने मैदान में उतरकर सबसे ज्यादा आम आदमी की मदद की है तो उस दौड़ में सबसे पहला नाम तराना विधायक महेश परमार का सामने आएगा। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूर्व ब्लाक अध्यक्ष अजीतसिंह ठाकुर ने भी दोस्ती का फर्ज निभाया है।
महेश-अजीत की जोड़ी से वर्तमान में कांग्रेस के नेता तो परेशान हैं ही साथ ही साथ इन दोनों ने भारतीय जनता पार्टी के सिर में भी दर्द कर रखा है। जहां कोई मरीज को परेशानी होती है वहां पर इन दोनों की जोड़ी खड़ी नजर आती है। अपनी जेब से ऑक्सीजन सिलेंडर देने की बात हो या फिर किसी भी अस्पताल में अव्यवस्था उजागर करने की बात हो, यह दोनों हमेशा खड़े नजर आते हैं।
नगरीय निकाय चुनाव को लेकर उज्जैन महापौर की सीट अजा वर्ग के लिए आरक्षित हो गई है। कांग्रेस की ओर से दौड़ में महेश परमार भी शामिल हैं। जिस तरह से वह दिन-रात हर किसी की मदद के लिए खड़े हुए हैं, उससे उज्जैन शहर में उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इसी के साथ उनका राजनीतिक कद भी तेजी से बढ़ रहा है। शायद यही डर अब कांग्रेस और भाजपा के नेताओं को सताने लगा है, क्योंकि वह पार्टी से ऊपर निकल गए हैं।