चतुर्धा मेघ में इस बार सम्वर्त नामक मेघ, 80 प्रतिशत श्रेष्ठ वर्षा के योग
उज्जैन, अग्निपथ। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी उपरांत पूर्णिमा पर 25 मई को प्रात: 8.46 पर सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश होगा। सूर्य का रोहिणी में प्रवेश करते ही रोहिणी का आरंभ माना जाता है। अर्थात नौतपा शुरू हो जाते हैं। सूर्य का रोहिणी में प्रवेश काल 8 जून तक रहेगा अर्थात 14 दिन पर्यंत सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में परिभ्रमण रहेगा। इन 14 में से पहले 9 दिन नौतपा कहलाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि इस दौरान तेज धूप तपिश उमस बढ़ती है तथा तीसरे या सातवें आठवें दिन पानी गिरने का भी योग बनता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत आने वाले मेदिनी ज्योतिष शास्त्र की शाखा से संबंधित नक्षत्र मेखला की गणना से देखें तो इस बार वर्षा ऋतु का चक्र अलग-अलग प्रकार से अपनी स्थितियों को दर्शा रहा है। जिसमें भारतीय ज्योतिष शास्त्र की गणना के मूल तत्व से संबंधित ऋतु चक्र के आधार बिंदु जिसमें क्रमश: नक्षत्र, मेघ, व नाग इन तीनों का विशेष प्रभाव पड़ता है। क्योंकि 27 नक्षत्रों में रोहिणी नक्षत्र का अलग ही महत्व है। साथ ही जब सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश होता है, तब रोहिणी के प्रवेश काल को स्पष्ट करता है।
वही नवधा मेघ एवं चतुर्धा मेघ आदि की स्थिति तथा द्वादश नागों का अलग-अलग प्रकार का वर्ष अनुक्रम से स्थापित होना। यह तीनों स्थितियां वर्षा ऋतु के चक्र को कम या ज्यादा करते हैं। संयोग से इस बार चतुर्धा मेघ में सम्वर्त मेघ का अनुक्रम आता है। जिससे अच्छी वर्षा के संकेत मिलते हैं। साथ ही द्वादश नाग के अंतर्गत सुबुध्न अथवा सुबुद्ध नामक नाग कि साक्षी में वृष्टि अच्छी होती है। हालांकि आरंभ में कुछ स्थानों पर खंड वृष्टि के योग भी बनते हैं, किंतु कुल मिलाकर के यदि हम चक्र की गणना करें तो 80 प्रतिशत श्रेष्ठ वर्षा की योग इस बार बन रहे हैं।
रोहिणी का निवास
रोहिणी का निवास इस बार समुद्र तट पर है तथा समय का निवास रजक अर्थात धोबी के घर है । इस दृष्टि से वर्षा श्रेष्ठ होगी साथ ही समय का वाहन वृषभ है। जिसका फल परिश्रम एवं आलस्य से रहित होकर कार्य करने वाले मनुष्यों के लिए यह वर्ष शुभ फल प्रदान करने वाला रहेगा।