नई दिल्ली (एजेंसी)। कोरोना की दूसरी लहर के कारण भारत में मचे हाहाकार के बीच टीकाकरण अभियान में तेजी लाई गई है लेकिन कई राज्य टीके की कमी का दावा कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियां केंद्र पर आरोप लगा रही हैं कि देश में टीकाकरण अभियान को तवज्जो न देते हुए सरकार ने विदेशों को टीके भेज दिए। अब सरकारी सूत्रों ने बताया है कि सरकार इस साल अक्टूबर के आखिर तक कोरोना वैक्सीन की किसी भी बड़ी खेप का निर्यात नहीं करेगा और वैक्सीन का इस्तेमाल देश में किया जाएगा। हालांकि, इससे दुनियाभर में टीकों की आपूर्ति के लिए शुरू की गई पहल ‘कोवैक्स’ को काफी नुकसान होने की आशंका है।
बता दें कि कोरोना संकट के कारण सबसे बुरे दौर से गुजर रहे भारत ने बीते महीने ही वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगा दी थी। अभी तक भारत वैक्सीन की 6.6 करोड़ खुराकें निर्यात कर चुका है। हालांकि, भारत की तरफ से टीके का निर्यात रुकने के बाद बांग्लादेश, नेपाल, श्री लंका और कई अफ्रीकी देश अब वैक्सीन पाने के लिए परेशान हो रहे हैं।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि भारत अब अपने देश में टीकाकरण को प्रमुखता देगा क्योंकि यहां संक्रमितों की कुल संख्या ढाई करोड़ पार कर गई है और मौतों के आंकड़ें रोज नया रिकॉर्ड बना रहे हैं।
एक सूत्र ने बताया, ‘अंदरखाने यह चर्चा हुई है और कुछ देशों को कह भी दिया गया है कि वे मौजूदा स्थिति में वैक्सीन निर्यात के वादे के पूरा होने की उम्मीद न रखें।’ हालांकि, सूत्र ने यब भी नहीं बताया कि वे कौन से देश हैं जिन्हें वैक्सीन आपूर्ति में देरी के बारे में जानकारी दी गई है।
दो अन्य सूत्रों ने बताया कि भारत से वैक्सीन निर्यात कब तक वापस शुरू होगा, यह इस पर निर्भर करता है कि भारत कितनी जल्दी दूसरी लहर से पैदा हुई गंभीर स्थिति को नियंत्रित कर लेगा। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने इसको लेकर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के प्रवक्ता ने बताया कि फिलहाल भारत में वैक्सीन आपूर्ति पर फोकस है। पहले यह अनुमान था कि दूसरे देशों को जून से वैक्सीन निर्यात होने लगेगी।