कोरोना का काल, बिकने चला गुरुनानक अस्पताल
अस्पताल के डायरेक्टर की सोश्यल मीडिया पर पोस्ट चर्चाओं में

उज्जैन, (हेमंत सेन)। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान सर्वाधिक चर्चाओं में आए गुरूनानक अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डा. उमेश जेठवानी द्वारा सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट खासी चर्चाओं में आ गई है। डा. जेठवानी ने अपने अस्पताल को ही बेचने का विज्ञापन सोशल मीडिया पर जारी कर दिया। उनके इस फैसले को प्रशासनिक कठोरता से जोडक़र देखा जा रहा है।

जीरो प्वाइंट ओवर ब्रिज के नजदीक बना गुरूनानक अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर पिछले डेढ़ महीनों से अलग-अलग कारणों से विवादों व चर्चाओं में बना हुआ है। इस अस्पताल के प्रबंधन पर कलेक्टर आशीष सिंह दो बार 50-50 हजार रुपए का जुर्माना लगा चुके हैं। इसके अलावा पिछले रविवार को नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल के निर्देश पर नगर निगम के इंजीनियर अस्पताल की नपती भी कर चुके हैं। गुरूनानक अस्पताल फिलहाल कोविड सेंटर बना हुआ है और बुधवार शाम तक की स्थिति में यहां तकरीबन 35 कोरोना मरीज भर्ती हैं।

सोशल मीडिया पर लिखा-बेचना है

डा. उमेश जेठवानी ने सोशल मीडिया पर लिखा है- हाय दोस्तों, मैं अपने 70 बेड वाले अस्पताल फ्रीगंज उज्जैन को बेच रहा हूं, जिसमें 3 ऑपरेशन थिएटर सभी लैपरोस्कॉपी, एंडोस्कॉपी उपकरण, डायलेसिस यूनिट और सभी उपकरणों के साथ है। इच्छुक व्यक्ति संपर्क कर सकते हैं।

गुरूनानक अस्पताल को सिंधी कालोनी में रहने वाले डॉ. पुरुषोत्तम जेठवानी ने शुरू किया था। घोंसला में भी उनका क्लीनिक है। डा. पुरुषोत्तम जेठवानी के पुत्र डा. घनश्याम जेठवानी और डा. उमेश जेठवानी के साथ ही भाई मुकेश जेठवानी भी इस अस्पताल का प्रबंधन करते थे। पिछले एक साल की अवधि में ही डॉ. पुरुषोत्तम और डॉ. घनश्याम दोनों पिता-पुत्रों की मौत हो चुकी है। फिलहाल डॉ. उमेश जेठवानी ही अस्पताल का प्रबंधन देख रहे है।

नपती तो की पर नोटिस नहीं दिया

15 मई को गुरूनानक अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की बिल्डिंग की नपती किए जाने की नगर निगम की प्रक्रिया केवल हौव्वा ही निकली है। अस्पताल की नपती हुए 4 दिन बीत जाने के बाद भी न तो अस्पताल संचालक को किसी तरह का नोटिस जारी किया गया और न ही उनसे स्वीकृत नक्शे की कॉपी मांगी गई।

नगर निगम ने अस्पताल की नपती को किसी कागजी प्रक्रिया में लिया ही नहीं है। अस्पताल भवन की नपती करने वाली सब इंजीनियर सौम्या चतुर्वेदी का कहना है कि मैंने आयुक्त के निर्देश पर अस्पताल की नपती की थी, इसके बाद मुझे कोई दूसरे निर्देश मिले ही नहीं।

हमेशा विवादों में रहा ये अस्पताल

  • जुलाई 2016 में कमीशन के झगड़े में इस अस्पताल के कर्मचारियों ने नागझिरी के उदय राणा और चंद्रावतीगंज के गोपाल शर्मा के साथ मारपीट की थी। इस झगड़े में घायल हुए गोपाल की मौत हो गई थी। तब अस्पताल संचालक डा. घनश्याम जेठवानी के साथ ही 7 लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया।
  • सन् 2019 में आयुष्मान भारत योजना मध्यप्रदेश के सीईओ विजय कुमार जे. द्वारा कराई गई जांच में खुलासा हुआ था कि गुरूनानक अस्पताल में 99 दिन के भीतर 539 के ऑपरेशन कर उनकी बच्चेदानी निकाल दी गई थी। आशंका है कि केवल आयुष्मान योजना का बिल बढ़ाने के लिए बिना किसी वाजिब वजह के महिलाओं के ऑपरेशन किए गए। इस मामले में भोपाल से एफआईआर के आदेश जारी हुए लेकिन एफआईआर नहीं हुई। प्रकरण ठंडे बस्तें में है।
  • कोरोना मरीज राजेंद्र सिरोलिया के परिजनों से अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाने की शिकायतों पर जांच के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने 6 मई को ही गुरूनानक अस्पताल प्रबंधन पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
  • विवेकानंद कालोनी में रहने वाले मरीज महेंद्र कक्कड़ से अस्पताल प्रबंधन 1 लाख 94 हजार 400 रूपए के बिल के एवज में 2 लाख 25 हजार रूपए वसूल लिए। मरीज के परिजनों ने 31 हजार रूपए वापस मांगे तो उन्हें भगा दिया। अप्रैल में हुए इस घटनाक्रम की सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज है।
  • 15 मई को आयुष्मान योजना के पात्र मरीजों के साथ भेदभाव किए जाने की शिकायत पर एसडीएम संजीव साहू यहां जांच करने पहुंचे थे। जांच के दौरान ही नगर निगम आयुक्त के निर्देश पर अस्पताल भवन की नपती की गई।

अब थक गया, आराम चाहता हूं

अस्पताल भवन को उपकरणों सहित बेचने का निर्णय व्यक्तिगत है। मुझ पर किसी तरह का दबाव नहीं है। मैं एक सर्जन हूं और वैसे ही दूसरे बहुत से काम मेरे पास है। अब अकेला रहा गया हूं, प्रबंधन पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा हूं, इसलिए अस्पताल बेचना चाहता हूं। मुझे प्रशासन या प्रशासन के किसी अधिकारी से कोई शिकायत नहीं है।
– डा. उमेश जेठवानी, डायरेक्टर गुरुनानक अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर

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