विधायक पारस जैन के हस्तक्षेप के बाद मिल पाया शव, 1.29 लाख कर चुका था जमा
उज्जैन, अग्निपथ। कोराना महामारी के इस दौर में निजी अस्पताल किस तरह से लोगों की चमड़ी नोच रहे हैं। इसके प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। एक मरीज के इलाज के रुपये बकाया होने पर पाटीदार हास्पीटल प्रबंधन ने उसका शव परिजनों को देने से इंकार कर दिया। विधायक पारस जैन के पास मामला पहुंंचा तो उन्होंने कलेक्टर को मामले से अवगत कराया। इसके बाद शव परिजनों को सौंपा गया।
जानकारी के अनुसार ट्रेंचिंग ग्राउंड निवासी गोपाल कृष्ण सोनी के कोरोना से पीडि़त होने के चलते उनके परिजनों ने 8 दिन पहले पाटीदार हास्पीटल में भर्ती कराया था। उनकी मौत होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने 71 हजार रुपये बकाया होने पर उनके पुत्र जय सोनी को पिता की डेड बॉडी देने से इंकार कर दिया। जय सोनी पहले ही अस्पताल को 1 लाख 29 हजार रुपये जमा करा चुका था।
बॉडी देने से इंकार किए जाने के बाद जय सोनी ने रुपये का प्रबंध करने का प्रयास किया, लेकिन इसका बंदोबस्त वह नहीं कर पाया। लिहाजा उसने विधायक पारस जैन को मामले से अवगत कराया। विधायक ने कलेक्टर आशीषसिंह को मामले की जानकारी देते हुए डेड बॉडी दिलाने को कहा। तब जाकर जय सोनी को उसके पिता की बॉडी मिल पाई।
अस्पताल प्रबंधन द्वारा मृत मरीज का शव परिजन को न देने का मामला मेरे सामने आया था। कलेक्टर से बात कर उसका बिल माफ कराया गया। -पारसचंद्र जैन, विधायक, उज्जैन उत्तर
बीमारों का खून चूस रहे निजी अस्पताल
कोरोना महामारी के इस दौर में निजी अस्पताल बीमार मरीजों के परिजनों का खून चूस रहे हैं। नित्य प्रति घटनाएं देखने में आ रही हैं। शहर के कुछ अस्पताल तो इस मामले में कुख्यात हैं। यहां पर राउंड लेने वाले डॉक्टर भी इन अस्पतालों में अपने मरीजों को भर्ती नहीं करवाना चाहते लेकिन बेड नहीं मिलने की मजबूरीवश उनको खून चूसने वाले अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। इसके बाद शुरू होता है, पैसे खींचने का खेल। यह हजारों में नहीं बल्कि लाखों में होता है। एक साधारण व्यक्ति तो इन अस्पतालों में भर्ती होने की सोच भी नहीं सकता। कलेक्टर को एक अधिकारी को प्रत्येक अस्पताल में बैठाकर इनकी निगरानी कराई जाना चाहिए। ताकि व्यक्ति अधिक बिल वसूल करने की शिकायत तो कर सके।