सांसद, विधायक और जनअभियान की तरफ से एक जैसे नाम सामने आए
उज्जैन, अग्निपथ। राज्य सरकार के निर्देश पर शहर के 54 वार्डो में गठित की गई वार्ड स्तरीय आपदा प्रबंधन समितियां राजनीति का नया अखाड़ा बन गई है। समितियों में सदस्यों की नियुक्तियों के दौरान चला पठ्?ठावाद भाजपा में ही बखेड़ा कर गया है।
वार्डो में जनाधार वाले कई नेताओं को समितियों में जगह नहीं दिए जाने की शिकायतों के बाद उज्जैन उत्तर में दो दिन पहले एक दर्जन नेताओं के नाम बदलने पड़े है। कुछ नाम तो ऐसे रहे जिनकी अनुसंशा सांसद ने भी कर दी, विधायकों ने भी और जनअभियान परिषद से भी इनके नाम आ गए। इन्हें भी बदलना पड़ा है। कलह के कारण वार्ड आपदा प्रबंधन समूह में आने वाले दिनों में और भी बदलाव होने की संभावना है।
नगर निगम आयुक्त के आदेश पर 54 वार्डो में 6-6 सदस्यों की समितियां गठित की गई है। प्रत्येक समिति में नगर निगम के एक अधिकारी, एक सांसद प्रतिनिधि, एक विधायक प्रतिनिधि, पूर्व पार्षद, जन अभियान परिषद सदस्य और एनजीओ कार्यकर्ता को सदस्य मनोनित किया गया है। वार्डो के स्तर पर पार्टी में हैसियत होने के बावजूद कई पूर्व पार्षद इन समितियों में जगह नहीं पा सके है। विधायकों और सांसद के बीच ही तालमेल नहीं होने के कारण कई नाम दोनों जगहों से सूचियों में जगह पा गए। सूचियां जारी होने के बाद इन्हें बदला गया।
एक सप्ताह बाद भी स्थितियां साफ नहीं
वार्ड स्तर पर गठित की गई आपदा प्रबंधन समितियों में आधे सदस्य भाजपा से है, 13 मई को समितियां गठित की गई लेकिन कई सदस्यों को एक सप्ताह बाद तक भी यहीं स्पष्ट नहीं है कि उनकी नियुक्तियां आखिर किस काम के लिए की गई है। आपदा प्रबंधन समितियों के दायित्व सदस्यों को बताने के लिए गुरूवार शाम को एक वर्चुअल मीटिंग आयोजित की गई थी। जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष विभाष उपाध्याय की माताजी का देहावसान हो जाने के कारण इस मीटिंग को स्थगित करना पड़ा।
ऐसे भी उदाहरण आए सामने
- गब्बर भाटी वार्ड नंबर 10 से पार्षद रह चुके है। उनका नाम किसी भी वार्ड की सूची में नहीं है।
- गिरीश शास्त्री पूर्व पार्षद रह चुके है, वार्ड में उनका जनाधार है लेकिन सूची में उनका नाम ही शामिल नहीं किया गया। बाद में उनका नाम वार्ड नंबर 12 में एडजस्ट किया गया।
- वार्ड नंबर 48 से सांसद अनिल फिरोजिया ने अपने प्रतिनिधि के रूप में छोटू पटेल को जगह दी जबकि उनका निवास और कार्यक्षेत्र वार्ड 44 में है।
- विकास मालवीय वार्ड नंबर 50 के पार्षद भी रहे है, सांसद अनिल फिरोजिया की ओर से भी उनका नाम अनुशंसित कर दिया गया था। बाद में सूची में संशोधन किया गया।
ये बात सहीं है कि कुछ नाम बदले गए है। विधायकों, सांसद और जनअभियान परिषद की और से कॉमन नाम सामने आने के बाद नाम बदले गए। किन्हें होना था किन्हें नहीं ये हमारा विषय नहीं है, इस पर तो जनप्रतिनिधि ही जवाब दे सकते है।
– शिवप्रसाद मालवीय, संभागीय समन्वयक जनअभियान परिषद