लोग मदद को पहुंचे तो बोली- बेटा जरूर आएगा
- महिला ने रेंग-रेंग कर जंगल पार करने की कोशिश की, आधा किमी तक निशान मिले
- मदद के लिए पहुंचे पास के गांव के लोगों ने उसे खाना खिलाया और घर पहुंचाया
कोटा। हर माता-पिता को उम्मीद होती है कि बुढापे में बच्चे सहारा बनेंगे। लेकिन ये उम्मीद तब टूट जाती है जब औलादों को मां-पिता बोझ लगने लगते हैं। कोटा में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां एक कलयुगी बेटा अपनी 70 साल की मां को घर से 10 किमी दूर कोलाना गांव के जंगल में छोड़ आया। 2 दिन तक बुजुर्ग महिला भूखी-प्यासी जंगल में पड़ी रही, क्योंकि अपने पैरों पर चल नहीं सकती थी।
इस बीच बेटे को एक बार भी रहम नहीं आया कि जिसने जन्म दिया है, उसका जंगली जानवरों के बीच क्या होगा? इसके बावजूद मां का दिल देखिए कि उसे भरोसा था कि बेटा जरूर आएगा, लेकिन उसकी ये उम्मीद गलत थी। बेटे ने तो बुजुर्ग मां का भरोसा तोड़ दिया लेकिन आगे जो हुआ उससे इंसानियत पर भरोसा जरूर गहरा हो गया।
आधा किमी तक महिला के रेंगेने के निशान थे
महिला की मदद करने वालों में शामिल चौथमल गुर्जर ने बताया कि गांव के लोग जंगलों में जानवर चराने जाते हैं। उन्हें एक बुजुर्ग महिला के जंगल में बेसहारा पड़े होने की जानकारी मिली तो शुक्रवार को वे खाना-पानी साथ लेकर जंगल में गए। वहां महिला की हालत देखकर आंखें फटी रह गईं।
महिला नहीं चल सकती थी। करीब आधा किमी के दायरे में रेंगने के निशान थे। शायद महिला ने रेंग-रेंग कर जंगल को पार करने की कोशिश की होगी। उसके पास खाने को कुछ नहीं था। दो दिन पहले हुई बारिश से जंगल के गढ्डों में पानी भरा हुआ था। शायद वही पानी पीकर महिला ने जंगल में दो रातें गुजारीं होंगी।
जंगल में पहुंचे लोगों ने महिला को पहले पानी पिलाया फिर खाना खिलाया। बातचीत में महिला ने बताया कि वह रानपुर इलाके में अपने बेटे के साथ रहती है। दो दिन पहले बेटा रतन उसे जंगल में छोड़कर गया था। जाते समय उसने कहा था कि वापस आएगा। बातचीत में बुजुर्ग महिला ने भरोसे से कहा कि मेरा बेटा जरूर आएगा।
चौथमल और उनके साथियों ने महिला के बेटे का पता लगाने के लिए रानपुर में संपर्क किया। इसी बीच महिला को गोद में उठाकर अपनी गाड़ी में बैठाया और अपने गांव ले आए।
इस बीच महिला के बेटे रतन लाल के बारे में जानकारी कि वह मजदूरी करता है और उसे शराब की लत है। चौथमल ने रानपुर के सरपंच और वार्ड पार्षद को पूरी बात बताई और अपने साथियों की मदद से महिला को रानपुर पहुंचाया। रानपुर पहुंचते ही चौथमल के साथियों ने रतन को खरी-खरी सुनाई।
इस बीच दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की भी हो गई। वहीं रतन गलती मानने की बजाय उल्टा यह कहने लगा कि मां ही बिना बताए घर से चली गई। इनता सब होने के बाद भी बेटे के लिए महिला की ममता कम नहीं हुई थी और उसने अपने बेटे का ही पक्ष लिया।