मप्र गृह निर्माण मंडल: सफेद हाथी सिद्ध हो रहा है विभाग, पुरानी वसूली पर दारोमदार
उज्जैन, (ललित जैन) अग्निपथ। मप्र गृह निर्माण मंडल का काम आवास योजना बनाकर उसे अमली जामा पहनाना है, जिससे विभाग को आय हो और जनता को लाभ हो, लेकिन पिछले 10 साल से एक भी योजना को मूर्तरूप नहंी देने से विभाग को स्थानीय कार्यालय में पदस्थ 75 लोगों को जेब से करीब 25 लाख रुपए वेतन देना पड़ रहे है।
सूत्रों के अनुसार हाउसिंग बोर्ड में करीब 10 वर्ष पहले लगातार कॉलोनियां बनाने और उसकी देखरेख के कारण स्टॉफ कम पड़ता था। अब प्यून से अपर आयुक्त तक 75 लोग पदस्थ हैं, लेकिन नया काम कुछ नहीं। सिर्फ पूर्व की योजनाओं में वसूली के कारण विभाग चालू नजर आ रहा है। हालांकि कई योजनाएं बनाई गई है, लेकिन अफसरों की उदासीनता के कारण फाइलें भोपाल मुख्यालय में धूल खा रही है। हालात यह है कि विभाग को कर्मचारियों को मुक्त का वेतन देना पड़ा रहा है। इस वर्ष में भी कोई नई योजना पर काम नहीं किया जा रहा है, लेकिन पुराने बकायादारों से 12करोड़ रुपए वसूली से विभाग की साख बच गई।
देवास स्टॉफ मर्ज, शाजापुर में योजना अधर में
हाउसिंग बोर्ड के देवास व शाजापुर डिविजन के हालात भी जुदा नहीं है। देवास में तो योजना के अभाव में ऑफिस ही बंद करना पड़ा। वहां के स्टॉफ को भी उज्जैन में मर्ज कर दिया गया है। वहीं शाजापुर में अटल आवास योजना शुरू जरुर हुई, लेकिन पंजीयन नहीं होने से काम अधर में लटक गया। स्थिति यह है कि नियमानुसार आवक का 10 फीसदी वेतन देना होता है, लेकिन करीब दो साल से दोनों जगह करीब 5 लाख रुपए विभाग को भुगतना पड़ रहा है।
इनका कहना है..
स्थानीय आवास योजना की फाइल मुख्यालय में लंबित है। देवास में काम नहीं होने से वहां के स्टॉफ को उज्जैन में मर्ज कर दिया है और अटल आवास योजना पंजीयन नहीं होन पर रूकी हुई है।
-आरसी पंवार, कार्यपालन यंत्री, मप्र हाउसिंग बोर्ड