उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम उज्जैन में अफसरों के प्रति अफसरों के प्रेम का एक और उदाहरण सामने आया है। नगरीय प्रशासन विभाग की और हाल ही में नगर निगम को एक पत्र भेजा गया। इस पत्र में साफ निर्देश है कि जिन इंजीनियर्स के ट्रांसफर हो गए है, उन्हे तत्काल रिलीव किया जाए। ट्रांसफर वाले इंजीनियर्स की तनख्वाह भी जारी नहीं की जाए। शासन के इस आदेश को भी नगर निगम में दबा दिया गया है।
राज्य शासन ने पिछले 6 माह की अवधि में अलग अलग आदेशों के तहत उज्जैन नगर निगम में पदस्थ इंजीनियर रामबाबू शर्मा, हर्ष जैन, विधु कौरव, शुभम सोनी, मीनाक्षी शर्मा और दो अन्य के ट्रांसफर कर दिए है। इनमें से केवल एक शुभम सोनी को ही रिलीव किया गया है। नगरीय प्रशासन विभाग के स्पष्ट आदेश के बावजूद अन्य इंजीनियर्स को रिलीव नहीं किया गया।
अधीक्षण यंत्री की कुर्सी पर विवाद
लगभग 6 माह पहले राज्यशासन से उज्जैन नगर निगम में अधीक्षण यंत्री के पद पर जी.के. कंठिल को पदस्थ किया गया है। उन्हें इंदौर से यहां भेजा गया है। कंठिल ने उज्जैन में ज्वाइन भी कर लिया लेकिन उन्हें अधीक्षण यंत्री का संपूर्ण चार्ज नहीं सौंपा गया। अब भी उनके पास केवल शहर के तीन ही जोन का प्रभार है।
शेष तीन जोन में अधीक्षण यंत्री का प्रभार कार्यपालन यंत्री रामबाबू शर्मा के पास ही है। रामबाबू शर्मा को शासन रतलाम जाने के लिए आदेशित कर चुका है लेकिन न तो वे रिलीव हुए और न ही अधीक्षण यंत्री का चार्ज वापस लिया गया।
इनका कहना
अधीक्षण यंत्री का प्रभार मिलना या न मिलना हमारी अंदरूनी व्यवस्था है। ये आयुक्त महोदय का कार्यक्षेत्र है। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। – जी.के. कंठिल, अधीक्षण यंत्री नगर निगम