लोकायुक्त में लंबित मामले में जांच का क्या औचित्य
उज्जैन। नगर निगम में पदस्थ एक सहायक यंत्री के विरुद्ध लोकायुक्त में लंबित एक मामले को लेकर मप्र शासन के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक पारस जैन द्वारा निगम आयुक्त को लिखे गये पत्र में पांच दिवस में जांच की मांग को लेकर निगम के गलियारों में खासी चर्चा रही।
बताया जाता है कि फर्जी मार्कशीट की मदद से निगम के बर्खास्त प्रभारी उपयंत्री संजय भावसार ने एक पत्र के माध्यम से पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक पारस जैन उज्जैन उत्तर से वर्ष २०१४ में महाकाल फेस-१ के कार्य में हुई अनियमितता और सहायक यंत्री पीयूष भार्गव द्वारा नोटशीट में तत्कालीन आयुक्त एवं अन्य अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर स्वीकृति दिये जाने के मामले की जांच की मांग की थी।
बर्खास्त उपयंत्री संजय भावसार के पत्र को संज्ञान में लेते हुए विधायक पारस जैन ने आयुक्त नगर निगम क्षितिज सिंघल को पत्र लिखकर इस मामले की पांच दिन में जांच कर उन्हें अवगत कराये जाने हेतु निर्देशित किया है।
विचारणीय बिन्दु
- प्रकरण लोकायुक्त क्रमांक 138/2014 पर पहले से ही दर्ज है और उसकी जांच जारी है उसमें आयुक्त से जांच का क्या औचित्य।
- निगम के एक व्यक्ति विशेष के मामले में पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक का रूचि लेना विचारणीय है।
- प्रदेश शासन के मंत्री एवं दक्षिण के विधायक का वरदहस्त होने के कारण कहीं निशाने पर तो नहीं है पीयूष भार्गव।
- मेयर इन कौंसिल के पूर्व सदस्य बिल्डर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एक ठेकेदार सहित बर्खास्त प्रभारी उपयंत्री के गठजोड़ का खेल तो नहीं।
क्या कहते हैं संबंधित
मुझे तो संजय भावसार नामक व्यक्ति द्वारा शिकायती पत्र आवेदन भेजा गया था। जिसे संबंधित अधिकारी की ओर अग्रेषित किया जाना जनप्रतिनिधि होने के नाते मेरा दायित्व था जिसे मैंने पूरा किया। -पारस जैन, पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक उज्जैन उत्तर
चूंकि मामला लोकायुक्त में लंबित है। इसलिये इस मामले में टिप्पणी करना उचित नहीं है।
-पीयूष भार्गव, प्रभारी कार्यपालन यंत्रीशिकायतकर्ता संजय भावसार से चर्चा करनी चाही तो वह चलायमान फोन पर उपलब्ध नहीं हुए।