नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा को लेकर कश्मकश का दौर थम नहीं रहा है। कोरोना महामारी के बीच सीबीएसई बोर्ड की 12वीं की परीक्षाओं के आयोजन को लेकर रविवार, 23 मई को हुई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्री समूह की उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। उस बैठक में राज्यों से सुझाव मांगे थे।
इसके जवाब में मंगलवार, 25 मई की शाम तक अधिकांश राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी योजना और परीक्षाओं के आयोजन को लेकर अपने सुझाव केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेज दिए हैं। जानकारी के अनुसार, अधिकतर राज्यों ने परीक्षाओं के आयोजन को लेकर सहमति तो दिखाई है, लेकिन उन्होंने कई प्रकार की शर्तें भी रखीं हैं। इन सब तथ्यों पर विचार-विमर्श के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से एक ड्र्राफ्ट तैयार किया जाएगा।
जिस पर रविवार, 30 मई को केंद्रीय मंत्री समूह की प्रधानमंत्री के साथ उच्च स्तरीय बैठक हो सकती है। संभव है कि इसमें अंतिम फैसला किया जाएगा। जिसकी घोषणा, 01 जून को हो सकती है। लेकिन कई राज्यों में अभी तक 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं को लेकर फैसला नहीं किया है। इस बीच राज्यों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को परीक्षाओं को लेकर अपनी राज्य भेजी है। आइए जानते हैं कि राज्य ने क्या योजना बताई और क्या सुझाव दिए।
जहां बिहार में 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं फरवरी में हो चुकी हैं और उनका परिणाम भी जारी हो चुका है। वहीं, छत्तीसगढ़ में 10वीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है तो 12वीं की परीक्षा ओपन बुक पद्धति से एक जून से करवाई जा रही हैं। शेष अधिकतर राज्यों में 10वीं की परीक्षा तो रद्द और 12वीं की परीक्षाएं अभी स्थगित हैं।
राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और गोवा की सरकारें राज्य में 12वीं की बोर्ड परीक्षा के आयोजन कराने को लेकर तैयार है। इन राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और बोर्ड सचिवों का मानना है कि 12वीं की परीक्षा बेहद अहम है। इसलिए परीक्षाएं होनी चाहिए, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण विषयों की ही परीक्षा आयोजित की जाए और उन्हें सीमित अवधि में संपन्न करा लिया जाए।
जबकि 23 मई की बैठक के दौरान परीक्षाओं के आयोजन का खुलकर विरोध करने वाली झारखंड, दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने फिर अपनी आपत्ति व्यक्त की है। इन राज्यों की पहली मांग है कि परीक्षाएं रद्द कर देनी चाहिए। फिर भी, यदि परीक्षाओं का आयोजन हो तो पहले परीक्षार्थियों, अध्यापकों एवं अन्य सभी कर्मचारियों का प्राथिमकता के आधार पर ही टीकाकरण किया जाए। महाराष्ट्र सरकार ने परीक्षा कराने की जगह आंतरिक मूल्यांकन के आधार परीक्षाथियों को पास करने का सुझाव दिया है।
जबकि, पंजाब के शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखा है कि सभी छात्रों को परीक्षा शुरू होने से पहले टीका लगाया जाए और प्रत्येक विषय में केवल चयनित और आवश्यक प्रमुख विषयों की परीक्षा ही आयोजित की जा सकती है। उधर, गुजरात सरकार ने गुजरात बोर्ड की 12वीं की परीक्षाएं एक जुलाई से आयोजित करने का निर्णय किया है। राज्य में परीक्षा कार्यक्रम का विस्तृत विवरण जल्द जारी किया जाएगा।
निशंक ने कहा था अंतिम निर्णय जल्द
बैठक के समापन पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर कहा था कि जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री ने कल्पना की थी, बैठक अत्यंत उपयोगी थी, क्योंकि हमें अत्यधिक मूल्यवान सुझाव प्राप्त हुए थे। मैंने राज्य सरकारों से 25 मई तक अपने विस्तृत सुझाव मुझे भेजने का अनुरोध किया है। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश 25 मई तक लिखित में अपनी प्रतिक्रिया भेजेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय उन सभी सुझावों पर विचार करेगा और जल्द ही अंतिम निर्णय लेगा।
300 छात्रों ने सीजेआई को भेजा पत्र
महामारी के बीच शारीरिक तौर पर बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन के खिलाफ विद्यार्थी अब सीजेआई की शरण में पहुंच गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं के आयोजन की आहट मिलते ही करीब 300 विद्यार्थियों ने प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना को पत्र भेजकर परीक्षाओं के आयोजन को रद्द करने की मांग की है। साथ ही विद्यार्थियों ने प्रधान न्यायाधीश से सीबीएसई और सरकार को परीक्षाओं के आयोजन की जगह वैकल्पिक मूल्यांकन योजना बनाने का निर्देश देने के लिए आग्रह किया है।