उज्जैन, अग्निपथ। संभाग की सबसे बड़ी सब्जी मंडी इस समय 30 लाख रुपए से ज्यादा नुकसान में चल रही है। यह नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा है, क्योंकि अभी तक यह फैसला नहीं हो पाया है कि मंडी में आलू,प्याज और लहसुन की नीलामी कब से होगी। मंडी में दस अप्रैल से नीलामी बंद है।
सब्जी मंडी में हर दिन छह से आठ हजार कट्टों की नीलामी होती है। छह हजार कट्टों को औसत मान लें तो पचास दिन में तीन लाख कट्टों की खरीद-फरोख्त नहीं हो पाई है। इसके चलते करीब 30 लाख रुपए से ज्यादा का व्यवसाय मंडी में नहीं हो पाया। वहीं डेढ़ प्रतिशत के हिसाब से मंडी को 45 हजार से ज्यादा का टैक्स मिलता। इसके राजस्व का नुकसान तो हुआ ही। इतने पर भी अभी यह साफ नहीं है कि कब व्यवसाय शुरू होगा।
व्यापारियों बोले- सुविधा मिलने पर शुरू करेंगे व्यवसाय
दो महीने से बंद सब्जी मंडी अभी भी शुरू नहीं हो पाएगी, क्योंकि मंडी में मूलभूत सुविधा अभी तक विकसित नहीं हो पाई है। यह फैसला शुक्रवार को सब्जी मंडी व्यापारी संघ ने उज्जैन कृषि उपज मंडी समिति को सुना दिया है।
सब्जी मंडी व्यापारी संघ के सचिव दीपक पमनानी का कहना है कि सालों से सब्जी मंडी में समस्या बनी हुई है। मंडी में लाइट नहीं है। पानी नहीं, सुरक्षा के लिए गार्ड नहीं हैं। असामाजिक तत्व यहां डेरा डाले रहते हैं। बारिश में पानी दुकानों में घुस जाता है इससे सब्जी खराब होती है। परन्तु मंडी प्रबंधन समस्या का निराकरण नहीं कर पा रहा है। जब तक मूलभूत समस्या का निराकरण नहीं हो जाता है तब तक मंडी शुरू नहीं की जाएगी। बैठक में अध्यक्ष अमप्रकाश हाडोद,उपाध्यक्ष वीरेंद्र सांखला, धीरज बल्दिया,जय राजवानी, विनोद सिंघवानी, पंकज सांखला, नासीर भाई राइन, महेंद्र सेठिया,नवीन परमार, मंडी समिति के इंस्पेक्टर सत्यनारायण बजाजा, महेंद्र जैन, राजेश गेहलोत आदि मौजूद थे।
आपदा प्रबंधन की बैठक में होगा फैसला
मंडी सचिव अश्विन सिन्हा का कहना है कि शनिवार को आपदा प्रबंधन की बैठक होगी। इसमें सरकार की नई गाइड लाइन के संबंध में फैसला लिया जाएगा। इसके बाद तय होगा कि किसानों को किस तरह और कितने किसानों को मैसेज भेजना है। सब्जी मंडी में अभी मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद ही सब्जी मंडी को खोलने का फैसला किया जाएगा।
मंडी में 60 -70 व्यापारी
सब्जी मंडी में 60-70 से ज्यादा व्यापारी हैं। उज्जैन में 30 से ज्यादा कोल्ड स्टोरेज हैं। जहां 20 लाख से ज्यादा आलू, प्याज और लहसुन के बोरे रखे हुए हैं। किसान को एक कोल्ड स्टोरेज में एक बोरे को छह माह तक रखने पर 200 रुपए चुकाना पड़ते हैं। पमनानी का कहना है कि अभी कोल्ड स्टोरेज में रखी उपज को कोई नुकसान नहीं है। परन्तु बरसात के बाद नई फसल आने लग जाएगी। इससे जब उपज कोल्ड स्टोरेज में रखी है उसे औने-पौैने दाम पर बेचने से किसान को नुकसान उठाना पड़ेगा।