नई दिल्ली। CBSE और ICSE बोर्ड की परीक्षा होगी या नहीं। इस पर 2 दिन में फैसला हो सकता है। केंद्र सरकार इस पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना प्लान पेश करेगी। इस मुद्दे पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने वर्चुअल सुनवाई की। इस दौरान भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार 2 दिन में तय कर लेगी कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) और काउन्सिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशंस ICSE की 12वीं की परीक्षा होगी या नहीं। इस मामले पर अगली सुनवाई 3 मई को होगी।
केंद्र की दलील पर 2 दिन की मोहलत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको फैसला लेने के लिए वक्त दिया जाता है। आप जो भी निर्णय लेंगे, उसके पीछे आपको मजबूत दलील देनी होगी। जस्टिस खानविलकर ने कहा, ‘छात्रों को बहुत उम्मीद थी कि इस साल भी पिछले साल की तरह परीक्षा नहीं होगी और नंबंरिंग के लिए मेथड सिस्टम अपनाया जाएगा।
याचिकाकर्ता ने कहा- बहस उम्मीद जगाने वाली
सीबीएसई परीक्षा कैंसिल करने की पिटीशन डालने वाली एडवोकेट ममता शर्मा ने एक हिंदी दैनिक से कहा, ‘आज की बहस उम्मीद जगाने वाली है। बेंच ने हमें पॉजिटिव संदेश दिया है। उम्मीद है गुरुवार को फैसला स्टूडेंट्स के हक में आएगा।’ एडवोकेट ममता शर्मा ने कहा, ‘उन्होंने परीक्षा की प्रक्रिया और नतीजों को जल्द घोषित करने की बात भी कोर्ट के सामने रखी। इस पर कोर्ट ने उन्हें सकारात्मक उत्तर दिया।
शिक्षा मंत्री की बैठक में हो सकता है फैसला
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक 1 जून को CBSE के साथ बैठक करने वाले हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक में कोई फैसला लिया जा सकता है। इससे पहले हुई मीटिंग में CBSE ने परीक्षा के लिए 2 विकल्प रखे थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 12वीं की परीक्षा होगी। इसकी तारीखें और फॉर्मेट अभी तय नहीं है। वहीं, स्टेट में 12वीं के एग्जाम कराने का फैसला उनके बोर्ड पर ही छोड़ा गया है।
300 छात्रों ने CJI को लिखी थी चिट्ठी
इससे पहले 25 मई को CBSE 12वीं क्लास के 300 स्टूडेंट्स ने चीफ जस्टिस एनवी रमना को चिट्ठी लिखी थी। अपने लेटर पिटीशन में इन स्टूडेंट्स ने कोरोना के बीच फिजिकल एग्जाम कराने का CBSE का फैसला रद्द करने की मांग की थी। स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट से सरकार को असेसमेंट का वैकल्पिक तरीका तय करने का निर्देश देने की भी अपील की थी।
छात्रों ने कहा था कि देश में कोविड-19 के चलते कई स्टूडेंट्स ने अपने परिवार को खोया है। ऐसे में इस समय फिजिकली परीक्षा कराना न सिर्फ लाखों छात्रों और टीचर्स की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि उनके परिवार वालों के लिए भी यह परेशानी का सबब है।