राजकोट। पहले कोरोना फिर म्यूकरमाइकोसिस और गैंग्रीन के बाद अब गुजरात में एक और गंभीर बीमारी का खतरा मंडराने लगा है। इस बीमारी का नाम है एस्परजिलस। ये समस्या भी कोरोना का इलाज करा चुके मरीजों में सामने आ रही है। राजकोट के सिविल अस्पताल में इस बीमारी के मरीजों की संख्या 100 से ज्यादा है। यह ऐसी समस्या है, जिसमें फेफड़ों में कफ जमने लगता है।
एक मीडिया समूह के गुजराती अखबार से बातचीत में राजकोट के लंग्स स्पेशलिस्ट नीरज मेहता ने बताया कि यह समस्या आम दिनों में भी हो जाती है, लेकिन चिंता की बात यह है कि यह समस्या कोरोना मरीजों को चपेट में ले रही है। राजकोट के सिविल अस्पताल में इसके जितने भी मरीज हैं, सभी कोरोना पॉजिटिव हुए थे। यहां रोजाना ऐसे 2-3 मरीज सामने आ रहे हैं।
यह समस्या ज्यादातर उन मरीजों में देखी गई है, जो करीब 20-30 दिन पहले ही कोरोना से ठीक हुए हैं।
यह समस्या ज्यादातर उन मरीजों में देखी गई है, जो करीब 20-30 दिन पहले ही कोरोना से ठीक हुए हैं।
टैबलेट से हो जाता है इलाज
नीरज मेहता बताते हैं कि यह बीमारी ब्लैक फंगस जितनी खतरनाक नहीं है, लेकिन जरूरी है कि समय रहते इलाज शुरू हो जाए। एस्परजिलस फेफड़ों से जुड़ी समस्या है, जिसमें फेफड़ों में कफ जमने लगता है और कफ के साथ खून आने लगता है। इससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। हालांकि अच्छी बात यह है कि इसका इलाज होरिकोनाजोल टैब्लेट से ही हो जाता है। इस टैब्लेट की कीमत 700 से 800 रुपए के बीच होती है। मरीजों को रोजाना इसकी दो खुराक दी जाती है। इसका इलाज 21 दिनों तक चलता है।
डॉ. नीरज मेहता के मुताबिक यह समस्या ज्यादातर उन मरीजों में देखी गई है, जो करीब 20-30 दिन पहले ही कोरोना से ठीक हुए हैं। इस समय सिविल अस्पताल में ही 100 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। वहीं, कई लोग निजी अस्पतालों में भी इसका इलाज करवा रहे हैं। इसलिए ऐसे मरीजों की संख्या राजकोट में ही 300 से ज्यादा हो सकती है।
एस्परजिलस के लक्षण क्या हैं?
एस्परजिलस में निमोनिया जैसे ही लक्षण दिखाई देते हैं। इनमें बुखार आना, जुकाम होना, कफ जमना और कफ के साथ खून आना शामिल हैं। एस्परजिलस में प्रतिरोधक क्षमता तेजी से कम हो जाती है। यानी कि कोरोना मरीजों को इसे लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
व्हाइट फंगस का ही एक रूप है
व्हाइट फंगस के दो रूप होते हैं। कैंडिंडा और एस्परजिलस। कैंडिंडा खतरनाक होता है। इससे स्किन में इन्फेक्शन, मुंह में छाले, छाती में संक्रमण और अल्सर जैसी समस्या हो सकती है। जबकि एस्परजिलस का संक्रमण फेफड़ों, सांस नली और कॉर्निया पर असर डालता है। इससे अंधेपन का खतरा भी रहता है।