अध्यापकों ने इसके लिए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि उसकी ओर से टीचर्स को फ्रंटलाइन वर्कर के तौर पर काम में लगा दिया गया, जबकि उन्हें इसका दर्जा भी नहीं दिया गया। इसके चलते उन्हें वैक्सीनेशन में प्राथमिकता नहीं मिल पाई। राजगढ़ जिले में तैनात एक अध्यापक भगवान सिंह राणावत ने कहा, ‘अध्यापकों को कोरोना मामलों के सर्वे और वैक्सीनेशन सेंटरों पर काम की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन उन्हें पीपीई किट या फिर दस्ताने आदि नहीं दिए गए हैं। यहां तक कि मास्क भी वे अपनी तरफ से ही इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार ने स्कूलों में वैक्सीनेशन सेंटर स्थापित किए हैं और टीचर्स को बिना जरूरी किट के ही काम करना पड़ रहा है।’
मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोना से मौत होने की स्थिति में मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि और एक शख्स को नौकरी का ऐलान किया है। लेकिन आशुतोष पांडेय का कहना है कि अध्यापकों के परिजनों को 50 लाख रुपये दिए जाने चाहिए, जो किसी फ्रंटलाइन वर्कर की मौत पर दिए जाते हैं। हालांकि राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इन आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री कर्मचारी कल्याण योजना के तहत अध्यापकों को भी जरूरी लाभ सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं।