हर छोटे-छोटे मुद्दे पर बड़ी-बड़ी बयानबाजी करने वाले शहर के सर्वाधिक सक्रिय जनप्रतिनिधि सांवराखेड़ी-जीवनखेड़ी जमीन के मामले पर चुप्पी धारण किए हैं। सिंहस्थ भूमि में शामिल इस क्षेत्र को आवासीय बनाने के मास्टर प्लान में आए प्रस्ताव का इन दिनों चारों ओर विरोध हो रहा है।
खासकर कांग्रेस तो खुलकर विरोध में है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने उच्च शिक्षा मंत्री पर भी आरोप लगाया है कि वे अपने परिजन और बिल्डर मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए सांवराखेड़ी, जीवनखेड़ी की जमीन को सिंहस्थ से मुक्त करना चाहते हैं। शुरू में तो इस बात का विरोध विधायक पारस जैन ने भी खुलकर किया था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से भाजपा के सभी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर मौन धारण किए हुए हैं। मीडिया के सवालों से भी बच रहे हैं और पार्टी के छोटे पदाधिकारियों की ओर से अनर्गल बयानबाजी करवा रहे हैं।
जबकि होना यह चाहिए कि वे खुद खुलकर इस मुद्दे पर बोले कि इस जमीन पर क्या निर्णय लिया जा रहा है। क्योंकि जो भी निर्णय होगा, इन तीनों प्रमुख जनप्रतिनिधियों की मर्जी के बिना संभव नहीं है। यह तीनों ही इस मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं, जिससे कहीं न कहीं चोर की दाढ़ी में तिनका नजर आ रहा है। अगर वाकई यह लोग अपनी मंशा में सफल हो गई और जमीन सिंहस्थ से मुक्त हो गई तो यह मनमानी की हद होगी।