कोरोना काल में कुछ किराना दुकानों ने खाद्य सामग्री के भाव आसमान पर पहुंचा दिये गये थे। जब ग्राहक द्वारा पूछा जाता कि इतने भाव कैसे हो गये तो कहा जाता था कि कोरोना कफ्र्यू के कारण माल नहीं आ रहा है और थोक दुकानों पर यही भाव चल रहा है तो हम क्या कर सकते हैं। ग्राहक ने उस समय जब कोरोना के दौरान कफ्र्यू चल रहा था तो मजबूरी में माल उठा लिया था।
लेकिन अभी भी किराना दुकानदार वही भाव में सामग्री बेच रहे हैं। जबकि भाव में अभी काफी अंतर आ रहा है अन्य दुकानों पर, ऐसे में इनकी जांच कर इन जुर्माना किया जाना चाहिए जो कि खाद्य सामग्री की कालाबाजारी कर रहे हैं। कालोनियों में तो पारलेजी बिस्किट तक 5 वाला 7 में बेचा गया और आटा, दाल, चावल के भावों में भी काफी हेराफेरी की गयी।
जिला प्रशासन की टीम द्वारा मेडिकल पर जाकर जांच कर इंजेक्शन व अन्य दवाओं के भावों की तलाशी की गयी लेकिन किराना दुकानों पर चल रही भावों की हेराफेरी की जांच नहीं की गयी। पहले तो आम नागरिक लाकडाउन के कारण आर्थिक रूप से त्रस्त है और अब किराना सामान पर भी उसे ज्यादा पैसे देकर सामान क्रय करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन को चाहिए कि ऐसे किराना व्यवसायियों पर नकेल कसे और किराना दुकानों पर भावों का नियंत्रण करवाए।