कमिश्नर के आदेश के बाद ज्यादा ताकतवर हुए कार्यपालन यंत्री
उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम में छोटे ठेकेदारों के छोटे भुगतान की फाइलें अब अधीक्षण यंत्री तक नहीं जाएंगी। सीधे कार्यपालन यंत्री ही इन फाइलों को उपायुक्त तक भेज सकेंगे। नगरनिगम आयुक्त के नए दिशा-निर्देश है कि 10 लाख रुपए के कामों की फाइलें अधीक्षण यंत्री तक भेजने की जरूरत नहीं है। इस आदेश से अब छोटे कामों में कार्यपालन यंत्रियों को ज्यादा अधिकार मिल गए है।
नगर निगम में अधीक्षण यंत्री के पद को लेकर खासी खींचतान मची हुई है। शासन की और से दो माह पहले जी.के. कंठिल को बतौर अधीक्षण यंत्री पदस्थ किया गया है, लेकिन उन्हें अब तक पूरी तरह से अधीक्षण यंत्री का चार्ज नहीं मिल सका है। नगर निगम में अधीक्षण यंत्री के पद को लेकर उहा-पोह जारी ही थी कि नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल ने नया आदेश जारी कर दिया।
सिंहस्थ, जेएनएनयूआरएम और केंद्र की अन्य योजनाओं को छोडक़र 10 लाख रूपए तक के कामों के लिए कार्यपालन यंत्रियों को अब अधीक्षण यंत्री को कोई फाइल रिपोर्ट नहीं करना पड़ेगी। इसी तरह 10 लाख से अधिक के कामों की फाइलें विभागीय अधिकारी, कार्यपालन यंत्री,अधीक्षण यंत्री से होते हुए सीधे अपर आयुक्त को चली जाएंगी।
इन कामों के लिए उपायुक्त को बायपास कर दिया गया है। 20 लाख से अधिक के कामों की फाइलों के लिए भी यहीं व्यवस्था लागू रहेगी। 20 लाख रूपए लागत तक के कामों की फाइलें भी उपायुक्त स्तर पर अब नहीं जाएंगी। नगर निगम आयुक्त का यह आदेश तत्काल लागू भी हो गया है।