बिजली कंपनी के ज्ञानी अफसरों की करामात इन दिनों लोगों के जी का जंजाल बन गई है। बिजली कंपनी के अधिकारियों ने राजस्व बढ़ाने के लिए के लिए नियमों का ऐसा उपयोग किया है कि आम आदमी खुलेआम इनकी लूट का शिकार हो रहा है।
बिजली कंपनी ने पिछले दो महीने अप्रैल-मई मीटर रीडिंग नहीं की। इसके पीछे लॉकडाउन का हवाला दिया जा रहा है। इस दौरान कंपनी ने मनमर्जी की रीडिंग डालकर बिल जारी कर दिए। यह बिल कम रीडिंग के दिए गए और उसमेें शासन से जारी कोविड राहत को भी कम कर दिया।
अब मई महीने में रीडिंग के साथ बिल दिए गए हैं। जिसमें पिछले दो महीने की रीडिंग भी शामिल है, इस कारण आमतौर पर घरेलु उपभोक्ताओं की बिल 250 से 300 रीडिंग के बन गए। ऐसे में उपभोक्ता को २५०-३०० की रीडिंग के स्लैब के मान से बिल मिले हैं, जो कि १००-१५० की स्लैब से करीब तीन गुना अधिक हैं। यानी जिनका बिल हर महीने ५०० रुपए के अंदर होता था, इस बार उन्हें १५०० से २००० रुपए के बीच का बिल चुकाना है।
सुधार करवाने कंपनी कार्यालय पर पहुंच रहे उपभोक्ताओं को नियमों का हवाला देकर वापस लौटाया जा रहा है। कोरोना काल में सभी ओर से आर्थिक रूप से परेशान आम आदमी को बड़े ही होशियारी से कंपनी लूट रही है और इनकी सुनने वाला भी कोई नहीं है।