महिदपुर, अग्निपथ। पवित्र क्षिप्रा तट स्थित सार्वजनिक शालिनी मुक्तिधाम सत्या श्मशान में आज से 20 वर्षों पूर्व महिदपुर की दबंग पूर्व विधायक स्व. डॉ. कल्पना परुलेकर के सद्प्रयासों से आमजन की सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए अंतिम संस्कार हेतु सर्वसुविधा युक्त श्मशान के विकास का बीड़ा उठाया और उसका विकास किया गया था। जिसकी देखरेख वह स्वयं करती भी थी। डॉ. परुलेकर द्वारा कई बार उक्त श्मशान में हरियाली हेतु पौधारोपण किया गया। उसके बाद जन सहयोग से श्मशान परिसर में पानी की टंकी, बैठक हेतु कुर्सियाँ, पीने के पानी की मशीन, बाउंड्रीवाल, परिसर में स्ट्रीट लाइट, मुख्य गेट के बाहर पशुओ के पानी पीने की ठेल व प्याऊ आदि की व्यवस्था भी की गई।
20 वर्षों की अथक मेहनत के परिणाम स्वरूप विशाल क्षेत्र में फैला शमशान स्थल चारों ओर हरियाली से लहलहा रहा है, जो अंतिम संस्कार में शामिल होने वालो को सुकून भी देता है । वर्षों पूर्व जो पौधारोपण किया गया, वह आज लहलहाकर श्मशान जैसे वीरान स्थल में आमजन को हरियाली का संदेश देते हुवे वृक्षारोपण करने को प्रेरित भी करती है।
सार्वजनिक शालिनी सत्या श्मशान के विकास एवम् विस्तार में पूर्व विधायक डॉ. परुलेकर के साथ जो प्रमुख रुप से सहयोगी रहे उसमे सतीमाता स्थल पूजारी प्रकाशचंद्र दुबे के विशेष सेवा के अलावा कासम नागौरी, शरदचंद्र भटेवरा, मुकेश बांठिया, अरुण चौधरी, अशोक बोथरा, बसंत सेठिया, अशोक जायसवाल, स्व.बालकृष्ण कुमावत, विजय सारडा, अर्जुनसिंह ठाकुर आदि की सेवाएं इस श्मशान को विकसित करने में सेवा समिति के माध्यम से वर्तमान तक नि:स्वार्थ भाव से सतत रूप से जुटे हुए है।