आगर रोड पर राजस्व की विसंगति में उलझा बिल्डिंग का निर्माण, निगम अधिकारियों में भी संशय
उज्जैन, अग्निपथ। आगर रोड पर मोहन नगर के ठीक सामने वाले हिस्से में बन रही तीन मंजिला बिल्डिंग के निर्माण को नगर निगम द्वारा अवैध निर्माण का नोटिस दिए जाने के बाद इस इलाके में सिंहस्थ क्षेत्र को लेकर एक अजीब ही तरह की विसंगति सामने आई है। चिमनगंज मंडी तिराहे के एक हिस्से में एक ही सर्वे नंबर के 9 अलग-अलग भाग है, इनमें से चार सिंहस्थ क्षेत्र घोषित है। खास बात यह है कि इस जमींन का 1980, 1992, 2004 और 2016 में कभी सिंहस्थ के लिए उपयोग नहीं हुआ। फिर भी राजस्व रिकार्ड में यह क्षेत्र सिंहस्थ आरक्षित ही चला आ रहा है।
नगर निगम के भवन अधिकारी रामबाबू शर्मा द्वारा चिमनगंज मंडी तिराहे के आगर रोड वाले भू-भाग में लकड़ी पीठों के नजदीक बन रहे तीन मंजिला भवन को अवैध निर्माण घोषित किया है। बिल्डिंग का नक्शा भी इन्हीं रामबाबू शर्मा ने स्वीकृत किया था। अब खुद भवन अधिकारी ही संशय में है कि जिस जगह बिल्ंिडग बन रही है वह सिंहस्थ क्षेत्र है या नहीं। मामले में नोटिस जारी कर अब बिल्डिंग मालिक राकेश, संजय, मनीष पिता प्रकाशचंद्र कोठारी से दस्तावेज मांगे गए हैं। जिस जगह यह बिल्डिंग बन रही है वह सिंहस्थ क्षेत्र की जमीन बताई जा रही है।
हालांकि यह सिंहस्थ आरक्षित जमींन है या नहीं इसकी पुष्टि राजस्व अधिकारियों के द्वारा ही की जाएगी। फिलहाल जमीन के इस टुकड़े को लेकर राजस्व रिकार्ड की विसंगति सामने आई है। सर्वे नंबर 1535 की जमींन 9 हिस्सों में बंटी है। इन 9 हिस्सों में से 4 हिस्से सिंहस्थ क्षेत्र दर्शाए गए है जबकि 5 हिस्सों में सिंहस्थ क्षेत्र का कोई उल्लेख नहीं है। एक और खास बात यह है कि जिन राकेश, संजय, मनीष पिता प्रकाशचंद्र कोठारी को नगर निगम ने नोटिस जारी किया है, उनका नाम सर्वे नंबर 1535 के किसी भी हिस्से में राजस्व रिकार्ड में दर्ज ही नहीं है।
आगर रोड पर इस तरह की सैकड़ो विसंगतियां है। किसी एक प्लॉट को सिंहस्थ क्षेत्र दर्शाया हुआ है तो उसी के पास वाले प्लॉट पर भवन निर्माण की अनुमति जारी हो रही है।
चेन रजिस्ट्री जाचेंगे तो खुल जाएगी कहानी
नगर निगम ने जिन राकेश कोठारी, मनीष कोठारी, संजय कोठारी को सिंहस्थ क्षेत्र में भवन निर्माण की आशंका में नोटिस जारी किया है, उनकी चेन रजिस्ट्रियों की जांच से बिल्डिंग क्षेत्र के सिंहस्थ भूमि होने या न होने की पड़ताल आसानी से की जा सकती है। जाहिर है जिन लोगों से बिल्डिंग के लिए जमीन खरीदी गई, उनका या उनके पहले वालों का नाम राजस्व रिकार्ड में पहले दर्ज रहा ही होगा। रिकार्ड खुद ब खुद बता देगा कि जमीन सिंहस्थ आरक्षित है या नहीं।
विधायक उठा चुके है यह मुद्दा
उत्तर क्षेत्र के विधायक पारस जैन सिंहस्थ आरक्षित क्षेत्र की आगर रोड संबंधी विसंगतियों का मुद्दा सीएम शिवराज सिंह चौहान तक के सामने उठा चुके हैं। नए मास्टर प्लॉन में इस विसंगति को दूर करने की बात होना थी लेकिन सांवराखेड़ी-जीवनखेड़ी के झगड़े में ही मास्टर प्लॉन की बैठकें उलझी रही। आगर रोड़ पर बापू नगर तो ऐसी बस्ती है जिसकी पूरी जमीन ही सिंहस्थ क्षेत्र घोषित है जबकि यहां 500 से ज्यादा मकान बन चुके है। इनमें से किसी मकान को राजस्व रिकार्ड में सिंहस्थ आरक्षित लिखा होने के कारण बैंक लोन भी नहीं मिल पाता है।
ये चार भाग सिंहस्थ के
- 1535/1/1- रकबा 0.0990 नगेंद्र सिंह पिता लालचंद जैन बख्तावर मार्ग, सिंहस्थ क्षेत्र
- 1535/1/2- रकबा 0.1000 सुनील कुमार, पुरुषोत्तम, राजकुमार, राजेश आदी, सिंहस्थ क्षेत्र
- (14 फरवरी 2020 को एसडीएम द़्वारा पारित आदेश के बाद 26 फरवरी 2020 को पटवारी द्वारा यह जमींन सिंहस्थ क्षेत्र के रूप में दर्ज की गई।)
- 1535/1/3- रकबा 0.0990- राजकुमार अग्रवाल, विजय कुमार, महेंद्र कुमार आदी, सिंहस्थ क्षेत्र
- 1535/1/4- रकबा 0.0990- नागेंद्र सिंह जैन, सिंहस्थ क्षेत्र
इनका कहना है
हमने जमीन किनसे खरीदी, इसकी जानकारी रजिस्ट्री देखकर ही बता सकते हैं। संभव है कि राजस्व रिकार्ड में हमारा नाम न हो, लेकिन इतना आश्वस्त कर सकते हैं कि हमारी जमीन सिंहस्थ आरक्षित नहीं है। हमारी बिल्डिंग का नक्शा विधिवत स्वीकृत कराया गया है। – मनीष कोठारी, बिल्डिंग निर्माणकर्ता