शहर के सबसे बदनाम माधवनगर अस्पताल में चार लोगों की फिर मौत हो गई। इस बार मौत का जिम्मेदार किसे माना जाए। इसे लेकर प्रशासन और पुलिस मौन है। क्योंकि चीन से मंगवाए गए ऑक्सीजन प्लांट से नए आईसीयू को जोडऩे के लिए एक महिला डॉक्टर के निर्देश पर अस्पताल के कर्मचारियों ने आनन-फानन में गंभीर मरीजों को शिफ्ट कर दिया।
इतना ही नहीं उनसे घर से पंखा लेकर आने के निर्देश भी दिए थे। यह माधवनगर अस्पताल के पास ही अपना एक मुफ्त इलाज का कैंप भी चलाती हंै। कुछ राजनेताओं का वरदहस्त होने की वजह से इनका हस्तक्षेप बढ़ता चला जा रहा है और इनका उपचार करने का धंधा भी लगातार फल फूल रहा है।
विरोध करने वाले कांग्रेस नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी। माधवनगर अस्पताल की अव्यवस्था को जो भी उजागर करता है। उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर चुप करने की कोशिश की जाती है। ताकि केस दर्ज होने के डर से लोग अस्पताल की तरफ रुख ही नहीं करे और अव्यवस्था और गड़बड़ी पर पर्दा डला रहे।
अगर सही तरीके से मामले की जांच पुलिस ने की तो कई लोगों पर मौत के मामले में एफआईआर दर्ज हो जाएगी। पूरे शहर को सिर पर उठाने वाले कांग्रेसी नेता एफआईआर के डर से चार मौत के बाद चुप्पी साधे हुए बैठे हैं।