एक सप्ताह पहले शिवराज सरकार के बदले जाने की खबरें पूरे प्रदेश में तेजी से घूम रही थी। यह खबरें भोपाल के वल्लभ भवन से निकली थीं। इस खबर को बल जब मिला था तब कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय ने लंबी चर्चा की थी। किंतु बंगाल मेें बदले समीकरण ने कैलाश विजयवर्गीय का राजनीतिक कद कम कर दिया है।
जिन विधायकों ने चुनाव के आखिरी समय में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था, वह विधायक लगातार भाजपा को छोडक़र जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में जो परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं, वह भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व पर सवालिया निशान खड़ा कर रही हैं।
कैलाश विजयवर्गीय लंबे समय से पश्चिम बंगाल के प्रभारी रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें फ्री हैंड कर रखा था। उसके बावजूद पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों में जो टूट सामने आ रही है, उससे दिल्ली दरबार में कैलाश विजयवर्गीय के नंबर कम हो गए हैं।
सप्ताह भर पूर्व तक कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा मुख्यमंत्री के पद की दौड़ में आ गए थे। नरोत्तम मिश्रा ने तो चलती बैठक में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की खिलाफत की थी। बंगाल के जो राजनीतिक हालात हैं उसके बाद अब यह दोनों ही नेता मध्यप्रदेश में चुप्पी थामे हुए हैं।