उज्जैन विकास प्राधिकरण : लीज रेंट अब दोगुना नवीनीकरण शुल्क भी बढ़ाया

अब सीईओ बाले-बाले नहीं कर पाएंगे आदेश, अखबारों में करना होगा प्रचारित

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) में 15 जून से नए नियम लागू हो गए हैं। राज्य सरकार ने अप्रैल में नए नियमों को गजट नोटिफिकेशन निकाल दिया था। परन्तु यूडीए संचालक मंडल की बैठक में अनुमोदन के बाद इन्हें लागू किया गया है। अब लीज रेंट कलेक्टर गाइड लाइन के मुताबिक एक प्रतिशत के स्थान पर दो प्रतिशत लगेगा। जबकि आवासीय सह वाणिज्यिक के लिए कोई प्रावधान नहीं था।

नए नियम में कलेक्टर गाइडलाइन का 3 प्रतिशत लिया जाएगा। वहीं अब जो लोग यूडीेए की संपत्ति तो खरीद लेते हैं परन्तु किसी कारण से नियत समय पर भुगतान नहीं कर पाते हैं। उन्हें बकाया भुगतान के लिए आठ त्रैमासिक किस्तों की सुविधा का प्रावधान किया गया है। इसमें पहले रिजर्व बैंक की ब्याज दर के साथ 2 फीसदी बढ़ाकर ब्याज लिया जाता था। परन्तु अब इसे 10 प्रतिशत फिक्स कर दिया है। जबकि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के मकान लेने वालों को सात साल तक भुगतान करने की छूट प्रदान की गई है।

10 प्रतिशत ज्यादा देने पर बहाल होगा निरस्त आवंटन

यूडीए से संपत्ति खरीदने पर नियत तारीख पर भुगतान करना होता है। यदि भुगतान में विलंब होता है तो दंड के रूप में राशि चुकानी पड़ती है। फिर भी कोई संपत्ति का बकाया भुगतान नहीं चुकाता है तो यूडीए उसका आवंटन रद्द कर देता है। पहले एक बार आवंटन रद्द होने पर बहाल नहीं कराया जा सकता है।

अब सरकार ने नए नियम यह प्रावधान कर दिया कि आवंटन रद्द होने के एक माह के अंदर उपभोक्ता सभी राशि के साथ दस प्रतिशत ज्यादा राशि का भुगतान यूडीए को कर देते हैं तो उसका निरस्त आवंटन फिर से बहाल कर दिया जाएगा। 90 दिनों के अंदर ऐसे आवेदन पर यूडीए सीईओ को आदेश देकर बहाल करने के आदेश करने होंगे।

वहीं पूरी प्रक्रिया को यूडीए सीईओ को 180 दिन के अंदर पूरी करनी होगी। इसके साथ ही सीईओ को इस आदेश को पारित करने के बाद इसका अखबारों में प्रचार- प्रसार भी करना होगा। ताकि आम लोगों को उसके आदेश के विषय में जानकारी मिल सके।

मालवीय की फाइल पहुंची कमिश्नर के पास, टेंडर घोटाले में इंजीनियरों को शोकॉज नोटिस

उज्जैन विकास प्राधिकरण में बगैर अनुमति के हाईकोर्ट में अपील करने वाले एमके मालवीय को निलंबित करने की फाइल संभागायुक्त संदीप यादव के पास पहुंच गई है। इसमें सीईओ सोजना सिंह रावत ने मालवीय के द्वारा बगैर अनुमति के किए गए कार्यो का ब्यौरा दिया है। मालवीय स्थापना शाखा संभालते हैं। यूडीए के एक कर्मचारी की मौत के मामले में उन्होंने बगैर सीईओ की अनुमति के हलफनामा पेश कर दिया था। उनका तर्क था कि मृतक सफाई कर्मचारी की पत्नी नगर निगम में काम करती है। इसलिए नियम अनुसार उसका परिवार अनुकंपा नियुक्ति की पात्र नहीं है। इसके चलते उन्हें निलंबित करने के आदेश संभागायुक्त ने दे दिए। उधर दो इंजीनियरों को शोकाज दिए जाने का मामला गर्मा गया है। इनकी शिकायत भी कमिश्नर को गई थी। दोनों इंजीनियरों को यूडीए में हुए टेंडर घोटाले में नोटिस दिया गया है।

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