चेन्नई। तमिलनाडु में कोरोना के चलते राज्य सरकार ने 30 हजार लोगों की मौत की बात कही है। लेकिन एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि यह आंकड़ा कम है और वास्तविक संख्या इससे 8 गुना तक ज्यादा हो सकती है। वहीं प्रदेश सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि इस बात की कोई वजह ही नहीं है कि सरकार आंकड़े को कम बताए।
चेन्नई स्थित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) अरप्पर इयक्कम ने 6 सरकारी अस्पतालों के डेटा का विश्लेषण करते हुए यह बात कही है। एनजीओ ने दावा किया है कि इन अस्पतालों में सरकारी डेटा के मुकाबले 13.6 गुना ज्यादा मौतें हुई हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इस विश्लेषण के लिए एनजीओ की ओर से राजाजी हॉस्पिटल, कोयम्बटूर अस्पताल समेत 6 संस्थानों की ओर से जारी डेथ सर्टिफिकेट्स के आधार पर यह बात कही है।
एनजीओ के संयोजक जयरमन वेंकटेशन ने कहा कि इन अस्पतालों में की गई स्टडी के तहत अप्रैल-मई 2021 से लेकर अप्रैल-मई 2019 और 2020 के आंकड़ों की तुलना की गई है। राज्य सरकार की डेथ रजिस्ट्री के मुताबिक अप्रैल और मई 2021 में कुल 11,669 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं। इनमें से 3,009 मौतें अप्रैल में और 8,690 मौतें मई में हुई हैं। यह आंकड़ा सरकारी बुलेटिनों में दिए गए मौत के आंकड़ों के मुकाबले 13.6 गुना अधिक है। जयरमन ने दावा किया कि तमिलनाडु सरकार ने 863 लोगों की मौत की बात कही है, जबकि असल आंकड़ा इससे कहीं अधिक है।
इन 6 अस्पतालों के डेटा का विश्लेषण करते हुए जयरमन ने कहा कि अप्रैल और मई 2019 में हुई मौतों के मुकाबले 2021 में 7,262 ज्यादा है। इसके अलावा अप्रैल और मई 2020 के मुकाबले यह आंकड़ा 8,438 अधिक है। बता दें कि इससे पहले भी कई राज्यों में सरकारी डेटा से ज्यादा मौतें कोरोना के चलते होने की बात कही गई थी। हालांकि सभी सरकारों ने ऐसी रिपोर्ट्स को खारिज किया है। लेकिन इस मामले में बिहार अपवाद है, जहां ऑडिट के बाद मौतों की संख्या में 4,000 का इजाफा पिछले दिनों ही किया था।