पुलिस कप्तान चाहे कितना भी पाठ अपने मातहतों को पढ़ा दें लेकिन उनमें सुधार होना नहीं है। इसी का एक उदाहरण नीलगंगा क्षेत्र की एक पाश कालोनी का है जहां हर तरह के अवैध धंधे चल रहे हैंं। यहां कालोनीवासी कुछ कहने या शिकायत करने जाते हैं तो उनकी गाडिय़ों पर हमला होता है और बच्चों से मारपीट होती है। इस भय से कोई भी आवाज उठाना नहीं चाहता है।
हालांकि पुलिस ने कोरोना काल के दौरान कुछ बदमाशों को पकड़ कर थाने में बंद किया था लेकिन एक घंटे बाद जब वह बदमाश थाने से लौटे तो उन्होंने वाहनों में तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। अब ऐसे में पुलिस को खबर की जाती तो मामला और तूल पकड़ लेता।
हालांकि इस मामले में पार्षद तक को शिकायत की गयी लेकिन पार्षद प्रतिनिधि ने भी उन्हीं का पक्ष लेकर शिकायतकर्ता को रवाना कर दिया। जबकि पार्षद प्रतिनिधि जानते हैं कि यहां पर रात 12 बजे से सभी प्रकार के अवैध धंधे शुरू हो जाते हैं। जिसमें गांजा, चरस से लेकर जिस्मफरोशी तक शामिल है। ऐसे में कालोनी वासी कुछ बोल भी नहीं सकते।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने जब इसके खिलाफ आवाज उठायी तो उसके यहां पर पथराव कर दिया गया। फिर सामाजिक कार्यकर्ता के परिजनों ने उसे ही चुप करा दिया। अब अगर पुलिस सक्रियता से कार्य करे तो बड़ी सफलता मिल सकती है।