पुलिस ने मांगी महाकाल वन में फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट

कोतवाली टीआई ने भेजा नगर निगम आयुक्त को पत्र

उज्जैन, अग्निपथ। जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन के अंतर्गत 2010 से महाकालेश्वर मंदिर के पिछले हिस्से में आरंभ हुए महाकाल वन प्रोजेक्ट के भुगतान की फाइलों में फर्जी हस्ताक्षर का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है।कोतवाली थाने के प्रभारी शंकरसिंह चौहान ने इस मामले में नगर निगम आयुक्त को एक पत्र लिखा है। इस पत्र ने नगर निगम में हलचल तेज कर दी है।

कोतवाली थाना प्रभारी ने नगर निगम आयुक्त को भेजे पत्र में भुगतान की फाइलों पर हुए हस्ताक्षर की जांच वाला प्रतिवेदन और प्रकरण से जुड़े मूल दस्तावेज मांगे है। शिकायतकर्ता नगर निगम के पूर्व उपयंत्री संजय भावसार ने कुछ दिन पहले ही एडीजी योगेश देशमुख को आवेदन कर प्रकरण की जांच कराने और अपराध दर्ज करने का अनुरोध किया था। एडीजी के निर्देश पर पुलिस ने दोबारा इस प्रकरण की जांच आरंभ की है।

एक नजर मामले पर

नगर निगम के पूर्व उपयंत्री संजय भावसार का आरोप है कि नगर निगम के सहायक यंत्री(वर्तमान में कार्यपालन यंत्री) पीयूष भार्गव, लिपिक संध्या समेरिया द्वारा तत्कालीन आयुक्त महेशचंद्र चौधरी, कार्यपालन यंत्री अरुण जैन व अरूण मेहता के फर्जी हस्ताक्षर कर एवं आयुक्त एस.एन. परमार द्वारा स्वीकृत नोटशीट में कूट रचना कर महाकाल वन प्रोजेक्ट के ठेकेदार को 1 करोड़ 79 लाख रुपए का भुगतान करवा दिया गया है।

पूर्व में नगर निगम आयुक्त को भी इसकी शिकायत की गई थी, जिस पर विभागीय जांच भी हुई। अब पुलिस इसी विभागीय जांच की रिपोर्ट नगर निगम आयुक्त से मांग रही है, ताकि रिपोर्ट के आधार पर अपराध दर्ज किया जा सके।

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