खबर का असर : खाते में 10 करोड़ होने पर रोज 3 लाख कमाई का दिया था झांसा
उज्जैन,अग्निपथ। समाजजनों को प्रति सप्ताह 20 फीसदी कमाई का झांसा देकर करोड़ों लेकर भागे ठगराज दंपति व उनके परविार पर रविवार को नानाखेड़ा पुलिस ने केस दर्ज कर दिया। भाजयूमो नेता की शिकायत व दैनिक अग्निपथ में लगातार प्रकाशित खबर पर कार्रवाई कर पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
पुलिस के मुताबिक बसंत विहार निवासी भाजयूमो जिला अध्यक्ष मनीष पिता दशरथसिंह आंजना ने मालनवासा स्थित राजीव गांधी नगर निवासी आनंद भटोल,उसकी पत्नी कविता, पिता मांगीलाल व वकील भाई धर्मेंद्र के खिलाफ शिकायत की थी। आरोप लगाया कि आनंद व्यापारी के्रडिट कार्ड का काम करने वाला बताकर पत्नी के साथ उससे मिला था। बताया कि हमे खातों में 10 करोड़ रुपए दर्शाने पर 3 लाख रुपए रोज मिलते है।
उसे रुपए देने पर हर सप्ताह 20 फीसदी लाभ होगा। भरौसे में अकाउंट व नकदी से 65 लाख रुपए दिए। उसके कारण चचेरे भाई अमन ने व मऊ निवासी रिश्तेदार ओमप्रकाश ने भी करीब 50 लाख रुपए दिए। रुपए लौटाने की जगह वह करीब 3 माह पहले भाग गया। उसके पिता व भाई पहले टालते रहे। अब रुपए लौटाने से इंकार कर दिया। मामले में जांच के बाद धारा 420,406 व 34 के तहत केस दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
अग्निपथ ने उठाया मामला
आनंद भटोल व उसकी पत्नी व परिजनों द्वारा आंजना समाजजनों को ठगने और शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर 18 जून से दैनिक अग्निपथ ने लगातार तथ्यात्मक खबरे प्रकाशित करना शुरू की। नतीजतन पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेकर जांच की और आनंद के खाते में 9 करोड़ से अधिक का ट्रांजेक्शन के प्रमाण मिलने पर केस दर्ज कर दिया।
60 करोड़ तक जा सकती है राशि
पीडि़त मनीष की माने तो आंनद ने समाज का होने का फायदा उठाकर बाहुल गांवों को निशाना बनाया। उसे इंदौर उज्जैन के करीब 10 गांवों के 100 से अधिक लोगों ने अकाउंट पर ही 20 करोड़ रुपए से अधिक दिए और नकदी मिला ले तो राशि 60 करोड़ तक हो सकती है। यहीं वजह है कि समाजजनों ने आंनद को ढूंढने वाले को 50 लाख रुपए ईनाम देने की घोषणा की है।
गुमशुदगी दर्ज की चाल फेल
याद रहे आनंद ने बैंककर्मी बनकर भी दो दर्जन लोगों को एक करोड़ की चपत लगा रखी है। मामले में माधनगर थाने में शिकायत लंबित है। आनंद के भागने पर ठगी के केस से बचाने के लिए उसके वकील भाई धर्मेंद्र ने नागझिरी थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। हालांकि योजना फेल हो गई।