उज्जैन। कहा जाता है कि हमारी परछाई कभी भी हमारा साथ नहीं छोड़ती है, लेकिन साल में दो दिन ऐसे आते हैं, जब दोपहर में कुछ समय के लिए हमारी परछाई हमारा साथ छोड़ देती है।
यह घटना इस लिए होता है, क्योंकि उज्जैन के ऊपर से कर्क रेखा गुजरती है। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है। 21 या 22 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत की स्थिति में रहता है। जिसके कारण आप की परछाई आप को दिखाई नहीं देती है। सोमवार को उज्जैन के जीवाजी वैध शाला में भी यही दृश्य देखने को मिला। लेकिन मौसम के कारण परछाई कम दिखाई दी। वहीं कोरोना के कारण भी खगोल प्रेमियों का वैध शाला में प्रवेश प्रतिबन्ध किया गया था।
इस कारण गायब होती है परछाई
उज्जैन स्थित जीवाजी वैधशाला के अधीक्षक राजेंद्र गुप्त ने बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है। 21 या 22 जून को उसके कारण सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत की स्थिति में रहता है। इस बार 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत है। इसलिए जितने भी स्थान कर्क रेखा के नजदीक हैं, वहां दोपहर 12 बजे के आसपास परछाई की स्थित शून्य देखी गई।
उज्जैन में ये स्थिति दोपहर 12:28 बजे हुई। इस स्थिति को शंकु यंत्र के माध्यम से देखा गया। आज उत्तरी गोलर्ध में सबसे बड़ा दिन है। उज्जैन में आज दिन 13 घंटे 34 मिनट का दिन और 10 घंटे 26 मिनट की रात होगी। आज से सूर्य दक्षिण की और गति करना प्रारम्भ कर देता है। जिससे दिन छोटा और रात बड़ी हो जाती है। इसके बाद 23 सितंबर को 12 घंटे की रात और 12 घंटे की दिन होगी।
भारत में चार वैधशाला हैं। जिसमें से एक उज्जैन में स्थित है। जहां कालगणना के केंद्र होने के साथ ही उज्जैन से होकर गुजरी कर्क रेखा भी शामिल है। दरअसल कर्क रेखा पर स्थित शंकु यंत्र पर 21 जून को 12 बजकर 26 मिनट पर पडऩे वाली सूर्य की किरण गायब हो जाती है। जब सूर्य भू-मध्य रेखा पर आता है, तो पूरे विश्व में दिन और रात बराबर होते हैं। इस खगोलीय घटना के चलते भूमध्य रेखा और कर्क रेखा के बीच रहने वाले लोगों की दोपहर में सूर्य की रोशनी से परछाई नहीं बनती है। उज्जैन के जीवाजी वैधशाला पर लोगों को इस खगोलीय नजारे को दिखाने की तैयारी की गई थी।