सरकारी कुए में ब्लास्ट के दौरान हुई मौत के केस में नया मोड़
उज्जैन,अग्निपथ। आगर रोड पर करीब डेढ़ माह पहले सरकारी कुआ गहरीकरण के दौरान हुए ब्लास्ट में कर्मचारी की मौत के केस में पुलिस ने एक आरोपी पर गलत कार्रवाई की। तथ्यात्मक जानकारी के बाद इंदौर हाईकोर्ट ने आरोपी की अग्रिम जमानत मंजूर कर दी।
ग्राम कालूखेड़ी में 10 मई को कुआ गहरीकरण के लिए ब्लास्ट करने पर एक पत्थर समीप वेयर हाउस की चद्दर फोड़ते हुए गेंहू तुलाई कर रहे लक्ष्मणसिंह के सिर पर लगा था। घटना में लक्ष्मण की मौत होने पर घट्टिया पुलिस ने छह लोगों पर धारा 304, 286 का केस दर्ज किया था।
मामले के आरोपी रोजगार सहायक राजेंद्रसिंह के वकील वीरेंद्रसिंह परिहार ने इंदौर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए पैरवी की। साबित किया कि पुलिस ने राजेंद्र पर गलत धारा लगाई है। यह बात सिद्ध कर पंचनामा पेश करने के बाद भी पुलिस ने जांच नहीं की। परिहार के प्रमाण प्रस्तुत करने पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने इस पक्ष से सहमत होकर 22 मई को राजेंद्र की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली।
सरपंच सचिव अब भी फरार
मामले में पुलिस ने ट्रैक्टर मालिक हाकमसिंह,चालक दुलेसिंह उर्फ दौलतसिंह पिता ब्लास्ट करने वाला मंगलसिंह को जेल भेज दिया था। सरपंच सत्यनारायण त्रिवेदी, सचिव लच्छू उर्फ लक्ष्मण व रोजगार सहायक राजेंद्रसिंह को फरार घोषित कर दिया था। राजेंद्र की जमानत के बाद सरपंच व सचिव को भी लाभ मिल सकता है।
धाराओं का गणित
एडवोकेट परिहार ने बताया घटना में धारा 304 लगाई गई है। यह गैर ईरादतन हत्या के केस में लगाई जाती है। इसमें 10 साल से उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। पुलिस राजेंद्र को दोषी भी मानती है तो उस पर सिर्फ 304-ए लग सकती थी। जिसमें 2 साल की सजा अर्थदंड होता है। यह जमानतीय जुर्म की श्रेणी में आता है।
यह की पुलिस ने गलती
- राजेंद्र 5 मई से कलेक्टर के आदेश पर किल कोरोना अभियान में ड्यूटी कर रहा था।
- उसे कुआं खोदने का आदेश देने और प्रोसेडिंग लिखने का अधिकार नहीं है। पंचायत की मंजूरी और कलेक्टर के आदेश पर काम हो रहा था।
- घटना के समय वह अन्य जगह था। वकील द्वारा बनाए पंचनामें में कर्मचारियों ने इसकी पुष्टि की, लेकिन पुलिस ने जांच नहीं की।
- टोटे वाला लाइसेंसधारी था। घटना का पता चलने पर भी अधिकारियों को जानकारी नहीं दी तो लापरवाही पर धारा 304 लगना थी।