जींसों का उल्लेख करने का उद्देश्य : किसानों को उपज का फायदा मिले और प्रदेश का गेहूं हो एक्सपोर्ट
उज्जैन। किसान की उपज खरीदते समय व्यापारी को भुगतान पत्रक और अनुज्ञा पत्रक में जींस का उल्लेख करने के निर्देश को लेकर प्रदेश में व्यापारी और कृषि उपज मंडी समिति के समक्ष विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी। इसका सोमवार को पटाक्षेप हो गया। अब व्यापारी गेहूं और शरबती का ही दोनों प्रकार के पत्रक में उल्लेख करेंगे। बाकी पूर्व की तरह काम किया जाएगा।
यह फैसला मंडी बोर्ड की एमडी प्रियंका दास और व्यापारियों के बीच हुई बैठक में हुआ। उक्त जानकारी देते हुए उज्जैन के व्यापारी निमेश अग्रवाल ने बताया कि बैठक में सकल अनाज व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपाल दास अग्रवाल, शरद अग्रवाल, संजय अग्रवाल, मनोज काला, उज्जैन निमेश अग्रवाल, शैलेंद्र सिंह बुंदेला, समीर भार्गव, हरीश ज्ञानचंदानी, बोर्ड अधिकारी सुनील सक्सेना, आरपी चक्रवर्ती आदि मौजूद थे। इसमें जींस के नाम का उल्लेख करने के संबंध में एमडी दास ने बताया कि किसानों की उपज जो भी विदेश में भेजी जाती है, उसमें इस फैसले से लाभ होगा। किसानों के साथ ही प्रदेश की ब्रांडिंग भी होगी।
उन्होंने गेहूं की 48 वैरायटी का जिक्र करते हुए इस लिखने का आग्रह किया था। इस पर व्यापारियों ने परेशानी बताते हुए इस आदेश पर अमल करने में असमर्थतता जताई। बाद में दोनों पक्षों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि गेहूं और शरबती वैरायटी का प्रदेश में व्यापारी अब भुगतान पत्रक पर दर्ज करेंगे।
40 मंडियों के व्यापारियों से चर्चा की थी संयुक्त संचालक ने
इस मामले को लेकर शनिवार को उज्जैन के संयुक्त संचालक प्रवीण वर्मा ने मंडी बोर्ड के निर्देश पर संभाग की 40 मंडी के व्यापारी और कर्मचारियों से गूगल मीट पर विचार- विमर्श किया था। उज्जैन से गोविंद खंडेलवाल और अमर अग्रवाल इसमें शामिल हुए थे। गोविंद खंडेलवाल ने सुझाव दिया था कि व्यापारी को व्यवहारिक उलझन से दूर रखा जाए। ताकि वह केवल व्यापार करे। अगर जींस की वैरायटी को भी दर्ज करने लगेगा तो उसका ज्यादा समय इसमें ही लग जाएगा। इसके अलावा वह खातों को किस तरह से मैंटेंन करेगा। नए फैसले के संबंध में उनका कहना है कि अभी हमें यह जानकारी मिली है कि गेहूं, शरबती, डालर और चना की वैरायटी को लिखना होगा। विस्तृत फैसले की जानकारी सामने आने के बाद इस संबंध में कुछ कहा जा सकेगा।