सनसनीखेज: मंदसौर नारकोटिक्स हिरासत में नागदा के युवक की संदिग्ध मौत

मंदसौर नारकोटिक्स हिरासत में नागदा के युवक की संदिग्ध मौत

परिजनों ने उठाए पुलिस पर गंभीर सवाल!

 

नागदा, अग्निपथ। मंदसौर नारकोटिक्स की हिरासत में नागदा के बिरलाग्राम थाना क्षेत्र के गांव पिपलियाशीश निवासी महिपालसिंह पिता बालूसिंह (38) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मृतक के परिजनों ने मंदसौर नारकोटिक्स पुलिस को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है और इस मामले में शामिल सभी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है।

मृतक के चचेरे भाई नेपालसिंह ने पुलिस हिरासत के दौरान महिपाल की मौत पर गंभीर सवाल उठाते हुए पूछा, “आखिर पुलिस कस्टडी के दौरान महिपाल की मौत कैसे हुई? यदि महिपाल ने जहरीला पदार्थ खाया भी है, तो पुलिस ने हिरासत के दौरान उसकी चेकिंग क्यों नहीं की?” नेपालसिंह के अनुसार, बुधवार शाम 5 बजे तक महिपाल गांव में ही था।

गुरुवार तड़के 5 बजे परिवार के झुझारझक्ष्सह के पास फोन आया कि महिपाल को नारकोटिक्स ने हिरासत में ले लिया है। परिजनों के अनुसार, महिपाल के अस्पताल में भर्ती होने की खबर उन्हें पुलिस से ही मिली, जिस पर वे मंदसौर रवाना हुए। वहाँ जाकर उन्हें महिपाल की मौत का पता चला। मृतक की पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है, उसकी बड़ी बहन संजू कंवर है और उसका 12 साल का बेटा सूर्यांशसिंह है। यह परिवार इस दुखद घटना से पूरी तरह सदमे में है।

“एमडी ड्रग केस में हिरासत में लिया, कोई बीमारी नहीं थी, सिगरेट तक नहीं पीता था!”

नेपालसिंह ने बताया कि महिपाल को एमडी ड्रग (MD Drug) के केस में हिरासत में लेने की खबर है। उनका दावा है कि महिपाल को कोई बीमारी भी नहीं थी, और नशे के नाम पर वह सिगरेट तक नहीं पीता था। ऐसे में, पुलिस हिरासत में उसकी मौत कैसे हो गई, यह एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस की लापरवाही या किसी अन्य कारण से महिपाल की जान गई है।

बिरलाग्राम पुलिस को भी सुबह चला पता, पुराना रिकॉर्ड खंगाला

इस बीच, बिरलाग्राम पुलिस को भी महिपाल की हिरासत और मौत की जानकारी देर से मिली। थाना प्रभारी जितेंद्र पाटीदार ने बताया कि मंदसौर से उनके थाने के मोबाइल पर फोन आया था, और उन्होंने थाने से महिपाल का रिकॉर्ड पता किया था। थाना प्रभारी पाटीदार के अनुसार, थाने में महिपाल का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, मगर महिंदपुर रोड थाने में वर्ष 2009 में एनडीपीएस एक्ट का एक केस जरूर है।

यह घटना पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाती है और पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामलों को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। परिजनों ने निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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