बाबा महाकाल के दरबार में भेदभाव, गरीब श्रद्धालु दर्शन से वंचित

ऑफलाइन काउंटर नहीं खोले, स्मार्ट फोन और टिकट खरीदने की सामर्थ्य नहीं तो महाकाल के दर्शन नहीं

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को दर्शन करवाया जाना शुरू तो कर दिया गया है। लेकिन ऐसे आम श्रद्धालु जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हंै और इनकी जेब भी खाली है, तो वह भगवान महाकाल के दर्शन नहीं कर पाएगा। ऐसे श्रद्धालुओं को दर्शन करवाने की व्यवस्था मंदिर प्रशासन ने अभी तक शुरू नहीं करवाई है। जिसके चलते भगवान महाकाल के दरबार में भेदभाव पूर्ण व्यवहार लागू हो रहा है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में 28 जून से भगवान महाकाल के दर्शन आम श्रद्धालुओं को शुरू करवा दिए गए। इनको ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से और 250 रुपए का शीघ्र दर्शन टिकट लेकर दर्शन करने की सुविधा मंदिर प्रशासन ने उपलब्ध करवाई है। जो कि नाकाफी साबित हो रही है।

ऐसे श्रद्धालु जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है, वह भला कैसे ऑनलाइन बुकिंग करवा सकता है। इसी तरह से बड़ी संख्या ऐसे श्रद्धालुओं की भी है जिनकी जेब में पैसे नहीं हैं और वह भगवान महाकाल के ऊपर आगाध श्रद्धा रखता है। ऐसे में मंदिर प्रशासन की व्यवस्था केवल उन्हीं लोगों के लिए लागू है जोकि सर्व सुविधा संपन्न हैं।

ऐसे श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन से वंचित होकर ऐसी व्यवस्था शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं जिसके चलते आसानी से उनको बिना किसी भेदभाव के दर्शन हो सकें।

ऑफलाइन काउंटर कब खुलेगा

भगवान महाकाल का दरबार पिछले वर्ष भी लॉकडाउन के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था। जिनको ऑनलाइन बुकिंग करने के लिए ऑफलाइन काउंटर उपलब्ध करवाए गए थे। यहां पर श्रद्धालु आकर सीधे अपना मोबाइल नंबर कियोस्क सेंटर पर बैठे कर्मचारी को बताता था और उसकी बुकिंग हो जाती थी। इस तरह से जनरल भस्मारती काउंटर में और निर्गम गेट के बाहर ऑफलाइन काउंटर खोले गए थे।

इस व्यवस्थाओं को लोगों ने सराहा भी था और देश के विभिन्न प्रांतों से लोग बड़ी संख्या में भगवान महाकाल के दर्शन को पहुंच कर लाभान्वित हुए थे।

रोज कर रहे 7 हजार से अधिक दर्शन

कहने को तो मंदिर प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के नाम पर केवल 3500 श्रद्धालुओं को ही ऑनलाइन बुकिंग अनुमति की संख्या निर्धारित की है। लेकिन इसके अलावा भी 250 रुपए शीघ्र दर्शन टिकट पर और प्रोटोकॉल से ढेरों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन कर सुविधा पा रहे हैं।

ऐसे में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 7 हजार से भी ऊपर निकल जाती है। लेकिन आम श्रद्धालु जो कि गरीब है वह भगवान महाकाल के दर्शन से वंचित हो रहा है। ऐसे में ऑफलाइन काउंटर खोले जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

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